सचेतन, पंचतंत्र की कथा-64 : बुद्धिमान खरगोश और गजराज

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-64 : बुद्धिमान खरगोश और गजराज

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हाथियों का झुंड उस इलाके में अपना डेरा जमा चका था। खरगोशों को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। वे सब मिलकर सोचने लगे कि हाथियों को कैसे वापस भगाया जाए, क्योंकि उनके आने से उनका जीवन कठिन हो गया था।

खरगोशों ने तय किया कि वे एक प्रतिनिधि को चुनेंगे जो हाथियों के पास जाकर उनसे वार्ता करेगा। चुने गए खरगोश ने हाथियों के पास जाकर विनम्रता से उनसे अनुरोध किया कि वे कृपया इस जगह को छोड़ दें क्योंकि इससे खरगोशों का जीवन संकट में पड़ रहा है।

फिर एक बुद्धिमान खरगोश ने कहा, “हमें अपने बाप-दादों की जगह छोड़नी नहीं चाहिए। हमें हाथियों को ऐसा डर दिखाना चाहिए जिससे वे यहां फिर कभी न आएं।” उसने आगे कहा, “जैसे विषहीन सर्प भी अपना फन फैलाकर डरावना दिख सकता है, भले ही उसमें जहर न हो, हमें भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए।” इस कथन में बुद्धिमान खरगोश की बात एक महत्वपूर्ण रणनीति की ओर इशारा करती है, जो दर्शाती है कि कैसे कमजोर या छोटे समूह भी अपनी चतुराई और सूझबूझ से बड़े और शक्तिशाली दुश्मनों का मुकाबला कर सकते हैं। खरगोश ने जो उदाहरण दिया, वह विषहीन सर्प का है जो अपने फन को फैलाकर दुश्मनों को डराता है। यह उदाहरण बताता है कि दिखावे और रणनीति का प्रयोग करके कैसे शारीरिक शक्ति की कमी को पाटा जा सकता है।

यह शिक्षा हमें बताती है कि परिस्थितियों में सूझबूझ से काम लेना और अपनी कमजोरियों को सामर्थ्य में बदलना कितना महत्वपूर्ण होता है। खरगोश का यह कहना कि उन्हें अपने बाप-दादों की जगह नहीं छोड़नी चाहिए, इस बात को भी बल देता है कि संसाधनों और विरासत की रक्षा के लिए बुद्धिमानी से लड़ना जरूरी है।

तब सभी खरगोशों ने मिलकर एक योजना बनाई। उन्होंने सोचा कि वे हाथियों को डराने के लिए एक बड़ा उपाय करेंगे। उन्होंने एक खरगोश को दूत बनाया और उसे हाथियों के पास भेजा। दूत खरगोश ने हाथियों को एक काल्पनिक कहानी सुनाई कि किस तरह उनके आने से एक बहुत बड़ा और खतरनाक शिकारी इलाके में आ सकता है जो हाथियों का शिकार करता है।मूर्ख, लालची और झूठ बोलने वाले को दूत बनाना ठीक नहीं होता।

एक व्यक्ति ने कहा, “जो मूर्ख, लालची और झूठा होता है, उसे अगर दूत बनाकर भेजा जाए, तो काम कभी सफल नहीं होता। इसलिए अगर हम सब संकट से बचना चाहते हैं, तो हमें एक अच्छा दूत खोजना चाहिए।”

दूसरा व्यक्ति बोला, “यह बात सही है! अगर हमें जीवित रहना है, तो हमें कोई और उपाय निकालना होगा। चलो, ऐसा ही करते हैं।”

इसके बाद लंबकर्ण को हाथियों के प्रमुख के पास भेजने का फैसला हुआ और वह वहां गया। जब लंबकर्ण हाथी के रास्ते में एक ऐसी जगह पहुंचा, जहां हाथी नहीं आ सकता था, तो वह वहां चढ़ गया और ऊंचे से बोला,

हमारा मालिक, खरगोश राजा विजयदत्त चन्द्रबिंब में रहता है। इसलिए हमें एक दूत को यूथपति के पास भेजना चाहिए। उसे यह कहना चाहिए कि चन्द्रमा ने उसे इस जगह पर आने से मना किया है क्योंकि हमारा परिवार वहां रहता है। इस बात पर विश्वास करके शायद वह वापस चला जाए। फिर दूसरे खरगोश ने कहा, “अगर यही बात है, तो लंबकर्ण नामक खरगोश को वहां भेजो जो बातें बनाने में और दूत के काम में माहिर है।” ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति रूपवान, निस्पृह, बात बनाने में कुशल, शास्त्रों का ज्ञान रखता है और दूसरों की इच्छा समझ सकता है, वह राजदूत के रूप में अच्छा माना जाता है।

“अरे बदमाश हाथी! तू बिना किसी डर के खेलते हुए इस चन्द्र-हद में क्यों आता है?”

यह सुनकर हाथी आश्चर्य से बोला, “अरे! तू कौन है?”
खरगोश ने उत्तर दिया, “मैं विजयदत्त नाम का खरगोश हूं और चंद्रबिव में रहता हूं। भगवान चंद्रमा ने मुझे तेरे पास दूत बनाकर भेजा है।”

फिर उसने आगे कहा, “तू जानता है कि जो दूत सच बोलता है, उसका कोई दोष नहीं होता। राजा हमेशा अपने दूतों के माध्यम से ही संदेश भेजते हैं। कहा भी गया है—

“अगर कोई दूत कठोर शब्द कहे, यहां तक कि शस्त्र उठा लिया जाए या बंधु मारे जाएं, फिर भी राजा दूत को नहीं मारते।”

खरगोश ने कहा, “अरे! तू मेरे साथ अकेला आ, मैं तुझे उनका दर्शन कराऊंगा।”

रात के समय खरगोश हाथी को एक गड्ढे के किनारे ले गया। उसने पानी में चंद्रमा की परछाई दिखाई और कहा, “देख! मेरे स्वामी जल के अंदर समाधि में हैं। तू शांति से प्रणाम करके चला जा। अगर उनकी समाधि भंग हुई, तो वे बहुत गुस्सा करेंगे।”

हाथी डर गया। उसने पानी की ओर देख कर प्रणाम किया और वापस चला गया।

खरगोश और उसका परिवार खुशी से वहीं रहने लगे।

इसलिए मैं कहता हूं

बड़ों का नाम लेने से बड़ी सिद्धि मिलती है। चंद्रमा का नाम लेने से खरगोश सुखपूर्वक रहते हैं।इस तरह खरगोशों ने अपनी बुद्धि से हाथियों को भगा दिया। अब वे शांति से वहाँ रहने लगे।

इसलिए कहा जाता है, “बुद्धि बल से भी बड़ी होती है।”

खरगोश और कपिजल का नाश
पुराने समय में कुछ खरगोश और कपिजल (बंदर और अन्य छोटे जीव) एक छोटे न्यायाधीश के पास गए, ताकि उन्हें न्याय मिले। लेकिन वे नष्ट हो गए।

पक्षियों ने पूछा, “यह कैसे हुआ?”

तब कौआ कहानी सुनाने लगा…

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