सचेतन 3.29 : नाद योग: ॐ कार के आठ अङ्ग, चार पैर, तीन नेत्र, और पाँच दैवतों का महत्व
जो व्यक्ति ॐ कार (प्रणव) से अनभिज्ञ है, उसे ब्राह्मण नहीं कहा जा सकता…
नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। और आज हम चर्चा करेंगे “ॐ कार” के बारे में, जिसे ब्रह्मांड का सार माना जाता है। यह पवित्र ध्वनि, जो सभी जीवों और तत्वों का मूल है, हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखती है। आइए, समझते हैं ॐ कार के आठ अङ्ग, चार पैर, तीन नेत्र, और पाँच दैवतों का अर्थ और उनका महत्व।
ॐ कार: संपूर्ण ब्रह्मांड का सार
ॐ कार, जिसे प्रणव भी कहा जाता है, न केवल एक ध्वनि है, बल्कि यह संपूर्ण ब्रह्मांड का सार है। इसका उच्चारण हमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है। आइए, इसके विभिन्न अंगों के माध्यम से इस महान ध्वनि को समझें।
ॐ कार के आठ अङ्ग
ॐ कार के आठ अङ्ग हमें उस सम्पूर्णता की याद दिलाते हैं, जो इस ध्वनि में निहित है। ये अङ्ग हमें यह समझने में मदद करते हैं कि ॐ में सृष्टि की सभी शक्तियाँ और तत्व समाहित हैं।
- ‘अ’, ‘उ’, ‘म’, और अर्धमात्रा:
- ये चार अंश ॐ के आधारभूत घटक हैं, जो सृष्टि के निर्माण, पालन, और संहार का प्रतीक हैं।
- अर्ध-चंद्र और बिंदु:
- यह तुरीय अवस्था का प्रतीक है, जहाँ आत्मा शुद्ध चेतना में प्रवेश करती है। “तुरीय” शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है “चौथा”। तुरीय अवस्था वह चौथी अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। यह शुद्ध चेतना की वह अवस्था है, जहाँ आत्मा अपने सभी बंधनों से मुक्त हो जाती है और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है। यह वह अवस्था है जहाँ व्यक्ति अद्वैत (द्वैत से परे) के अनुभव में होता है, यानी वह अपने और ब्रह्मांड के बीच किसी भी विभाजन का अनुभव नहीं करता।
- शब्द और नाद:
- यह ध्वनि और उसके कंपन का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड में व्याप्त है और सभी जीवों को जीवन प्रदान करता है।
ॐ कार के चार पैर
ॐ कार के चार पैर ब्रह्मांड की चार प्रमुख अवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं:
- जाग्रत अवस्था:
- यह हमारी जाग्रत स्थिति का प्रतीक है, जहाँ हम भौतिक संसार में जीवन का अनुभव करते हैं।
- स्वप्न अवस्था:
- यह हमारी स्वप्न अवस्था का प्रतीक है, जहाँ हमारी चेतना कल्पनाओं और विचारों के माध्यम से यात्रा करती है।
- सुषुप्ति अवस्था:
- यह गहरी नींद की अवस्था है, जहाँ चेतना शून्यता की स्थिति में होती है।
- तुरीय अवस्था:
- यह चौथी और सबसे उच्च अवस्था है, जहाँ आत्मा शुद्ध चेतना और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है।
ॐ कार के तीन नेत्र
ॐ कार के तीन नेत्र ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं:
- ब्रह्मा (सृजन):
- यह सृजन की शक्ति का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड में जीवन और अस्तित्व की शुरुआत करती है।
- विष्णु (पालन):
- यह पालन और संतुलन की शक्ति का प्रतीक है, जो ब्रह्मांड को बनाए रखती है और उसका संरक्षण करती है।
- महेश (संहार):
- यह संहार की शक्ति का प्रतीक है, जो पुरानी और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है और नई ऊर्जा का संचार करती है।
ॐ कार के पाँच दैवत
ॐ कार के पाँच दैवत वे पाँच तत्व हैं, जिनसे सृष्टि की रचना हुई है:
- पृथ्वी (Earth):
- यह स्थिरता और भौतिक अस्तित्व का प्रतीक है।
- जल (Water):
- यह शुद्धिकरण और प्रवाह का प्रतीक है।
- अग्नि (Fire):
- यह ऊर्जा और परिवर्तन का प्रतीक है।
- वायु (Air):
- यह गति और जीवन शक्ति का प्रतीक है।
- आकाश (Ether):
- यह शून्यता और अनंतता का प्रतीक है।
आत्म-साक्षात्कार और ॐ कार का महत्व
जो व्यक्ति ॐ कार (प्रणव) से अनभिज्ञ है, उसे ब्राह्मण नहीं कहा जा सकता। ॐ कार को समझे बिना आत्म-साक्षात्कार संभव नहीं है। यह ध्वनि न केवल ब्रह्मांड की रचना का आधार है, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच का पुल भी है। जब हम ॐ का उच्चारण करते हैं, तो हम उस अनंत शक्ति से जुड़ते हैं, जो हमें आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में ले जाती है।
ॐ कार केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि संपूर्ण ब्रह्मांड का सार है। इसके आठ अङ्ग, चार पैर, तीन नेत्र, और पाँच दैवत हमें इस बात का बोध कराते हैं कि सृष्टि की सभी शक्तियाँ और तत्व इसमें समाहित हैं। ॐ कार का नियमित जाप और ध्यान हमें आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है और हमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है।
आज के इस सत्र में इतना ही। हमें उम्मीद है कि आपको ॐ कार और उसके आध्यात्मिक महत्व के इस विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए और रोचक विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें, और ॐ की शक्ति को अपने जीवन में अनुभव करें।
नमस्कार!