मुक्ति की राह पर पहला कदम राजकुमार सिद्धार्थ ने दृढ़ निश्चय के साथ घोड़े की पीठ पर चढ़ते हुए सिंहनाद किया, “जब तक मैं जन्म और मृत्यु के चक्र का अंत नहीं देख लूँगा, तब तक मैं इस कपिलवस्तु नगर में वापस नहीं लौटूँगा!” उनकी इस प्रतिज्ञा को सुनकर देवता भी प्रसन्न हो उठे। स्वर्ग […]
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सचेतन:बुद्धचरितम्-8 अभिनिष्क्रमण-2 (The Great Renunciation)
एक समय की बात है, जब राजकुमार सिद्धार्थ के हृदय में वैराग्य का बीज अंकुरित हो चुका था। उनकी यह भावना इतनी प्रबल हो उठी कि वे अपने पिता और राजा की आज्ञा लेकर एक बार फिर वन की ओर चल पड़े। उनके मन में वन की सुंदरता और प्रकृति के अद्भुत गुणों को निहारने […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-7 अभिनिष्क्रमण (The Great Renunciation):
“बुद्धचरितम्” के सर्गों का वर्णन गौतम बुद्ध के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं और घटनाओं को सुंदर काव्यात्मक भाषा में प्रस्तुत करता है। बुद्धचरित 28 सर्गों में था जिसमें 14 सर्गों तक बुद्ध के जन्म से बुद्धत्व-प्राप्ति तक का वर्णन है। हमने अबतक भगवत्प्रसूति (The Divine Birth): इस सर्ग में बुद्ध के दिव्य जन्म का वर्णन […]