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सचेतन 245: शिवपुराण- वायवीय संहिता – आपके विमर्श-शक्ति से उत्पन्न शब्द आपकी ‘पराशक्ति’ है

“सर्वोच्च ऊर्जा” या “श्रेष्ठ शक्ति” का संचार आपकी परिकल्पनाओं से एक निश्चित प्रभाव एवं सामर्थ्य के साथ दूसरों तक पहुँचता है। मंत्र साधना में वर्ण का महत्व सर्वोपरि है और वर्ण साधना हेतु उसमें स्थित शक्ति के स्वरूप, महिमा एवं मण्डल का ध्यान आवश्यक है। वर्ण का ध्वनि या उच्चारण करने से इसका प्रभाव विशेष […]