नमस्कारआप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान, आत्म-उन्नयन से जोड़ता है।आज का विषय है — पंचमहाभूत और उनके संबंधित चक्र और मुद्रा।क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर पाँच मूलभूत तत्वों से बना है?और हर तत्व हमारे शरीर के एक खास […]
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सचेतन- 06: हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि का आधार है पंचभूत 
पंचभूत क्रिया एक योगिक प्रक्रिया है जिसमें साधक या योगी इन पाँच तत्वों के साथ अपने भीतर संतुलन स्थापित करता है। यह क्रिया विशेष रूप से तप, साधना, ध्यान और आंतरिक जागरण के लिए की जाती है। हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि — पाँच तत्वों से बनी है:पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और […]
सचेतन- 05: पंचभूत क्रिया: प्रकृति से आत्मा तक की यात्रा
नमस्कारआप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान से जोड़ता है।पंचभूत क्रिया — अर्थात् पाँच तत्वों की साधना। पंचभूत क्या हैं? हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि — पाँच तत्वों से बनी है:पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन्हें ही […]
सचेतन- 04: “ज्ञान योग: जब जीवन परीक्षा लेता है”
नमस्कार प्यारे साथियों, आप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” पर विचार करते हैं जो आपको जीवन, योग और आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है।ज्ञान योग में जीवन की परीक्षा का क्या अर्थ है, और हम उसका अभ्यास कैसे करें। क्या है ज्ञान योग? ज्ञान योग यानी ज्ञान का मार्ग —वह रास्ता […]
सचेतन- 03: परीक्षा की तैयारी का तरीका
जीवन की परीक्षा किताबों में नहीं, कर्मों में होती है। और हर बार जब आप डरे बिना आगे बढ़ते हैं —आप खुद को, अपने आत्मबल को और अपने सपनों को जीत लेते हैं। “डर का काम है रोकना —और विश्वास का काम है चलना।जो डर के आगे चलता है,वही जीवन में जीतता है।” तैयारी का […]
सचेतन- 02: परीक्षा से डर क्यों लगता है?
जीवन की परीक्षा से डर इसलिए भी लगता है की — हम अनजान होते हैं परिणाम से: जब हमें नहीं पता कि आगे क्या होगा, असफलता का डर दिल में घर कर लेता है।
हमने खुद को दूसरों से तुलना करना सिखा लिया है: हम अपने कदमों की रफ्तार को दूसरों की मंज़िल […]
सचेतन- 01: “परीक्षा: डर नहीं, अवसर है विकास का!”
सचेतन- 01: “परीक्षा: डर नहीं, अवसर है विकास का!” नमस्कार! आप सुन रहे हैं “सचेतन”, एक विचार जहाँ हम बात करते हैं आपके मन, आत्मविश्वास और जीवन के छोटे-छोटे लेकिन ज़रूरी पहलुओं की। आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे विषय की जो हम सबके जीवन में कभी ना कभी आता है — […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 32 बुद्ध के दस पवित्र स्तूपों की कथा
जब भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ, तो उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अस्थियों (धातु), भस्म और कलश को सम्मानपूर्वक कई भागों में विभाजित किया गया। इन पवित्र अवशेषों को विभिन्न स्थानों पर श्रद्धा और भक्ति से स्थापित किया गया। इस प्रकार पृथ्वी पर कुल दस पवित्र स्तूपों का निर्माण हुआ। अब […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 31 महात्मा बुद्ध का अंतिम सम्मान
जब महात्मा बुद्ध ने संसार से विदा ली और सदा के लिए शांत हो गए, तब उनके भक्तों और अनुयायियों को बहुत दुख हुआ। मल्ल वंश के लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को बड़े आदर के साथ सोने की पालकी (स्वर्णमयी शिविका) में रखा। वे पालकी को अपने कंधों पर उठाकर नगर के मुख्य द्वार […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 30 बुद्ध का अंतिम उपदेश और निर्वाण
सुभद्र की भक्ति और बुद्ध का आशीर्वाद बुद्ध के निर्वाण के अंतिम समय में एक त्रिदण्डी मुनि, सुभद्र, उनसे मिलने आए। आनन्द के संकोच के बावजूद, बुद्ध ने उन्हें आने दिया और करुणा से धर्म का मार्ग समझाया — एक ऐसा मार्ग जो दुखों से मुक्ति दिलाता है और निर्वाण तक पहुँचाता है। दुख से […]