हनुमान जी ने सीताजी का विलाप, त्रिजटा का स्वप्नचर्चा — ये सब प्रसंग ठीक-ठीक सुन लिये। इस प्रकार अशोक वृक्ष के नीचे आने पर बहुत-से शुभ शकुन प्रकट हो उन व्यथितहृदया, सती-साध्वी, हर्षशून्य, दीनचित्त तथा शुभलक्षणा सीता का उसी तरह सेवन करने लगे, जैसे श्री सम्पन्न पुरुष के पास सेवा करने वाले लोग स्वयं पहुँच […]