कर्म आपकी भावना पर आधारित होता है जिसका स्वतः फल मिलता है। हमारी सर्वव्यापी चेतन ही हमारी प्रकृति है या कहें की यह महेश्वर की शक्ति यानी माया है जो आपको आवृत करके रखती है। और यही आवरण कला है। जब हम कला कहते हैं तो यह कला न की ज्ञान हैं, न शिल्प हैं, […]