आज हम सुन्दरकाण्ड के तृतीयः सर्गः का आरंभ कर रहे हैं जिसमें लंकापुरी का अवलोकन करके हनुमान् जी का विस्मित होना, निशाचरी लंका का उन्हें रोकना और उनकी मार से विह्वल होकर प्रवेश की अनुमति देना का वर्णन सुनेंगे। ऊँचे शिखरवाले लंब (त्रिकूट) पर्वतपर जो महान् मेघों की घटा के समान जान पड़ता था, बुद्धिमान् […]