हनुमान जी समुद्र को लाँघ जाने के बाद अपने वास्तविक स्वरूप में स्थित हो गये। धैर्य, सूझ, बुद्धि और कुशलता—ये चार गुणों के परिचय देने बाद हनुमान जी आकाश में चढ़कर गरुड़ के समान वेग से चलने लगे। सौ योजन के अन्त में प्रायः समुद्र के पार पहुँचकर जब उन्होंने सब ओर दृष्टि डाली, तब […]