सचेतन 3.11 : नाद योग: हमारे जीवन की सच्चाई हमें परमपद की ओर अग्रसर करती है
सूक्ष्मतम नाद से जीव, ईश्वर और ब्रह्म की सत्ता का ज्ञान नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में, जहाँ हम आपको ध्यान योग साधना की गहराइयों में ले चलेंगे। इस दस मिनट के कार्यक्रम में, हम जानेंगे कि किस प्रकार ध्यान योग साधना द्वारा हमारे जीवन के अनेक जन्मों के पापों का नाश संभव है, और यह कैसे हमें परमपद की ओर अग्रसर करती है। पापों का नाश अगर पर्वत के समान अनेक जन्मों के संचित पाप हों, तो भी ध्यान योग साधना के माध्यम से उनका…
सचेतन 3.12 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि
सचेतन 3.12 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में, आज का हमारा विषय है नाद योग। नाद योग, यह शब्द सुनते ही मन में एक गूंज उत्पन्न होती है, एक रहस्यमयी ध्वनि की। तो आइए, आज हम इसी रहस्यमयी ध्वनि, नाद योग के बारे में विस्तार से जानते हैं। नाद योग, योग का एक प्राचीन और अत्यंत प्रभावशाली मार्ग है। यह मार्ग हमें ध्वनि और संगीत के माध्यम से आत्मा की गहराइयों तक ले जाता…
सचेतन 3.13 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि
नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ 1. आहट (Aahat): जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं।, इसमें संगीत, मंत्र, या किसी वाद्य यंत्र की ध्वनि शामिल होती है। 2. परमाहट (Paramaahat): जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं। यह ध्वनियाँ अधिक गहरी और सूक्ष्म होती हैं। 3. अणाहट (Anahata): जो भीतर से उत्पन्न होती हैं। इन्हें केवल ध्यान और साधना के माध्यम से सुना जा सकता है। 4. अनाहत (Anahata): जो भीतर से उत्पन्न होती हैं। यह ध्वनियाँ अत्यंत सूक्ष्म और…
सचेतन 3.14 : नाद योग: आंतरिक ध्वनि यात्रा
सिद्धासन और वैष्णवी-मुद्रा में योगी की ध्वनि यात्रा नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. पिछले सत्र में हमने बात किया था नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ हमारे ध्यान और साधना की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह ध्वनियाँ हमें बाहरी और आंतरिक जगत से जोड़ती हैं और हमारे आत्मिक विकास में सहायक होती हैं। नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ 1. आहट (Aahat): जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं।, इसमें संगीत, मंत्र, या किसी वाद्य यंत्र की ध्वनि शामिल होती है। 2….
सचेतन 3.15 : नाद योग: आंतरिक ध्वनि यात्रा
सिद्धासन और वैष्णवी-मुद्रा में योगी की ध्वनि यात्रा नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. सिद्धासन क्या है? सिद्धासन, योग की एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली मुद्रा है। इसे साधना मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है। यह मुद्रा ध्यान के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है क्योंकि इसमें बैठकर ध्यान करना सरल होता है और लंबे समय तक बैठने पर भी शरीर में स्थिरता बनी रहती है। सिद्धासन करने की विधि: वैष्णवी-मुद्रा क्या है? वैष्णवी-मुद्रा एक विशेष प्रकार की योग मुद्रा है जिसमें योगी अपने दाहिने…
सचेतन 3.16 : नाद योग: वैष्णवी मुद्रा: योगी की गुप्त साधना
नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. आज हम बात करेंगे वैष्णवी मुद्रा के बारे में, जो योग साधना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और गुप्त अंग है। वैष्णवी मुद्रा की चर्चा तंत्रशास्त्रों में की गई है, और इसे एक गुप्त रहस्य के रूप में सुरक्षित रखा गया है। आइए, इस विषय पर गहराई से चर्चा करें। वैष्णवी मुद्रा का परिचय: वैष्णवी मुद्रा एक ऐसी योग मुद्रा है जिसमें योगी की बाह्य दृष्टि केवल एक ही अन्तरस्थ विषय पर स्थिर हो जाती है। यह विषय मन का मूलाधार…
सचेतन 3.17 : नाद योग: अंतरस्थ विषय: योग और ध्यान की गहनता का केंद्र
नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. आज हम बात करेंगे “अंतरस्थ विषय” के बारे में, जो योग और ध्यान की गहनता का केंद्र होता है। यह विषय योग साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे ध्यान को गहराई तक ले जाने में मदद करता है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें। अंतरस्थ विषय का अर्थ: अंतरस्थ विषय का अर्थ है वह आंतरिक केंद्र या विषय जिस पर योगी अपने ध्यान को केंद्रित करता है। यह विषय बाहरी संसार से हटकर हमारे आंतरिक संसार…
सचेतन 3.17-18 : नाद योग: अंतरस्थ विषय: योग और ध्यान की गहनता का केंद्र
सचेतन 3.17-18 : नाद योग: अंतरस्थ विषय: योग और ध्यान की गहनता का केंद्र नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. आज हम बात करेंगे “अंतरस्थ विषय” के बारे में, जो योग और ध्यान की गहनता का केंद्र होता है। यह विषय योग साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे ध्यान को गहराई तक ले जाने में मदद करता है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें। अंतरस्थ विषय का अर्थ: अंतरस्थ विषय का अर्थ है वह आंतरिक केंद्र या विषय जिस पर योगी अपने…
सचेतन 3.20 : सिद्धासन के लिए : यम और नियम
योग के नैतिक और अनुशासनिक सिद्धांत नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. सिद्धासन, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, एक ऐसा आसन है जो सभी सिद्धियों को प्रदान करता है। यमों में ब्रह्मचर्य श्रेष्ठ है, नियमों में शौच श्रेष्ठ है, वैसे आसनों में सिद्धासन श्रेष्ठ है। स्वामी स्वात्माराम जी के अनुसार, जिस प्रकार केवल कुम्भक के समय कोई कुम्भक नहीं, खेचरी मुद्रा के समान कोई मुद्रा नहीं, नाद के समय कोई लय नहीं; उसी प्रकार सिद्धासन के समान कोई दूसरा आसन नहीं है। यम और…
सचेतन 3.21 : गहरी योग साधना की पराकाष्ठा
केवल कुम्भक के समय कोई कुम्भक नहीं नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में. आज हम चर्चा करेंगे एक ऐसे योगिक सिद्धांत के बारे में, जिसे समझना और अनुभव करना साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है—”केवल कुम्भक के समय कोई कुम्भक नहीं।” यह कथन योग की गहरी साधना और उसकी पराकाष्ठा को दर्शाता है। आइए, इस पर गहराई से विचार करें। कुम्भक का अर्थ: कुम्भक प्राणायाम की एक अवस्था है, जिसमें श्वास को रोककर रखा जाता है। यह श्वास की स्थिरता और नियंत्रण का प्रतीक है।…