सचेतन 3.34 : नाद योग: तुरीय अवस्था का आध्यात्मिक महत्व
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे “तुरीय अवस्था” के आध्यात्मिक महत्व पर। यह वह अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। तुरीय अवस्था शुद्ध चेतना की वह उच्चतम अवस्था है, जिसे आत्म-साक्षात्कार के लिए आवश्यक माना जाता है। आइए, इस अवस्था के आध्यात्मिक पहलुओं को गहराई से समझते हैं। तुरीय अवस्था का परिचय तुरीय अवस्था का संस्कृत में अर्थ है “चौथा,” अर्थात यह चेतना की चौथी अवस्था है। यह जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से अलग है। तुरीय अवस्था में आत्मा शुद्ध, अनंत और अपरिवर्तनीय चेतना का अनुभव करती है।…
सचेतन 3.36 : नाद योग: हृदयकमल और ॐकार का ध्यान
आत्म-साक्षात्कार की ओर नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा पॉडकास्ट “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे ध्यान की एक अद्वितीय विधि के बारे में—हृदयकमल और ॐकार का ध्यान। यह ध्यान न केवल हमारे मन को शांत करता है, बल्कि हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर भी ले जाता है। आइए, जानते हैं इसकी गहराई और महत्व को। हृदयकमल और ॐकार का ध्यान योग और ध्यान की प्राचीन परंपरा में, हृदयकमल को आत्मा का निवास स्थान माना गया है। यह वह स्थान है, जहाँ शुद्ध चेतना का अनुभव होता है। हृदयकमल के मध्य में स्थित वह ज्योतिशिखा, जो अंगुष्ठमात्र के आकार में…
सचेतन 3.37 : नाद योग: प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म
शरीर और मन की शुद्धि की विधि नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। और आज हम चर्चा करेंगे प्राणायाम की एक विशेष विधि के बारे में, जिसमें त्रिविध ब्रह्म—ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र का प्रतीकात्मक महत्व निहित है। यह प्राणायाम विधि हमारे शरीर और मन को शुद्ध करने का एक अद्वितीय साधन है। आइए, जानते हैं इसके गहरे रहस्य को। प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसके माध्यम से हम अपनी श्वास पर नियंत्रण रखते हैं। श्वास को नियंत्रित करके हम अपने शरीर, मन, और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। त्रिविध ब्रह्म—ब्रह्मा,…
सचेतन 3.39 : नाद योग: मोक्ष के लिए आंतरिक शांति और आनंद
सचेतन 3.39 : नाद योग: मोक्ष के लिए आंतरिक शांति और आनंद आत्मा की अंतिम मुक्ति की यात्रा: राजा जनक और ऋषि याज्ञवल्क्य की कथा नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा पॉडकास्ट “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे एक अत्यंत गहरे और आध्यात्मिक विषय पर—मोक्ष के लिए आंतरिक शांति और आनंद। यह विषय हमें आत्मा की मुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है, जहाँ हम संसार के बंधनों से मुक्त होकर शाश्वत शांति और आनंद का अनुभव करते हैं। आइए, इस यात्रा के महत्व को समझते हैं। मोक्ष का अर्थ “मोक्ष” का शाब्दिक अर्थ है—मुक्ति, यानी आत्मा का संसार…
सचेतन 3.40 : नाद योग: आंतरिक शांति का महत्व
शांत झील की कहानी नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे आंतरिक शांति के महत्व पर। इस गहरे विषय को समझने के लिए हम एक प्रेरणादायक कथा सुनेंगे, जो हमें यह सिखाएगी कि आंतरिक शांति ही जीवन का असली सुख है। कथा: बुद्ध और युवा साधक यह कथा प्राचीन भारत की है, जब भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक छोटे से गांव में ठहरे हुए थे। उस गांव में एक युवा साधक रहता था, जो बुद्ध के ज्ञान से बहुत प्रभावित था। वह साधक हर दिन ध्यान करता, लेकिन फिर भी उसे शांति…
सचेतन 3.41 : नाद योग: आंतरिक आनंद का महत्व
आंतरिक आनंद का वास्तविक अर्थ नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे आंतरिक आनंद के गहरे महत्व पर। इसे समझने के लिए एक प्राचीन कथा के माध्यम से जानेंगे कि वास्तविक आनंद कहाँ छिपा है और इसे प्राप्त करने के लिए हमें किस दिशा में यात्रा करनी चाहिए। आइए, इस सुंदर कथा को सुनते हैं। कथा: राजा और संत एक समय की बात है, एक समृद्ध और शक्तिशाली राजा था, जिसके पास हर भौतिक सुख-सुविधा थी। उसके महल में सोने-चांदी का अंबार था, भोजन की कमी कभी नहीं थी, और सेवक उसकी सेवा में…
सचेतन 3.42 : नाद योग: आत्मा की अंतिम मुक्ति की यात्रा
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम एक गहन और प्रेरणादायक कथा के माध्यम से आत्मा की अंतिम मुक्ति की यात्रा पर चर्चा करेंगे। यह कथा हमें सिखाती है कि कैसे आत्मा संसार के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है। कथा: राजकुमार अर्जुन और आत्मा की मुक्ति की यात्रा प्राचीन काल की बात है। एक राज्य था जहाँ राजा की मृत्यु के बाद उसका सबसे बड़ा बेटा अर्जुन राजा बना। अर्जुन बुद्धिमान, वीर और न्यायप्रिय था, लेकिन उसके मन में हमेशा एक प्रश्न कौंधता रहता था—“आत्मा की अंतिम मुक्ति क्या है, और…
सचेतन 3.45:नाद योग: आत्मा की दिव्यता और परमपद की प्राप्ति
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम एक विशेष कथा के माध्यम से सूर्य, चन्द्र, और अग्नि का ध्यान और इसके माध्यम से आत्मा की दिव्यता और परमपद की प्राप्ति पर चर्चा करेंगे। यह कथा हमें आत्मा की गहराइयों में झांकने और दिव्यता की ओर बढ़ने का मार्ग दिखाएगी। कथा: ऋषि विश्वामित्र और साधक अर्जुन बहुत समय पहले, हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच एक ऋषि आश्रम था। इस आश्रम में महान ऋषि विश्वामित्र तपस्या किया करते थे। उनके पास कई शिष्य थे, जो आत्म-साक्षात्कार की दिशा में साधना कर रहे थे। उनमें से एक…