सचेतन 3.22 : नाद योग: एक आध्यात्मिक सफर
नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम एक ऐसे आध्यात्मिक सफर पर निकलने जा रहे हैं, जो आपके मन और आत्मा को शांति और संतुलन प्रदान करेगा। आज का विषय है “नाद योग: एक आध्यात्मिक सफर।” नाद योग, जिसे ध्वनि योग भी कहा जाता है, योग का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण अंग है। नाद का मतलब होता है ध्वनि या कंपन, और योग का मतलब होता है जुड़ना। इस प्रकार, नाद योग का अर्थ है ध्वनि या संगीत के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के…
सचेतन 3.23 : नाद योग: सिद्धासन
सचेतन 3.23 : नाद योग: सिद्धासन नियमित अभ्यास मन और शरीर को शुद्ध करता है नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। सिद्धासन ध्यान और साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है। सिद्धासन की सामान्य विधि: सिद्धासन के लाभ: अन्य लाभ: सावधानियाँ: निष्कर्ष: सिद्धासन एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली योगासन है जो सभी सिद्धियों को प्रदान करता है। इसका नियमित अभ्यास मन और शरीर को शुद्ध करता है और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर करता है। हमें इसे सावधानीपूर्वक और सही विधि से करना चाहिए। आज…
सचेतन 3.24 : नाद योग: वैष्णवी मुद्रा
गुप्त रहस्य का अद्भुत ज्ञान नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम बात करेंगे वैष्णवी मुद्रा के बारे में, जिसे समस्त तन्त्र-शास्त्रों में गुप्त रहस्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह मुद्रा न केवल ध्यान और साधना का महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि हमारे आध्यात्मिक विकास में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आइए, इस विषय पर गहराई से चर्चा करें। वैष्णवी मुद्रा का परिचय: वैष्णवी मुद्रा का अर्थ है वह मुद्रा जिसमें अन्तःकरण में लक्ष्य निहित हो और बाह्य दृष्टि निमेष-उन्मेष अर्थात् पलक झपकने…
सचेतन 3.25 : नाद योग: आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा
एक आध्यात्मिक सफर नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम बात करेंगे एक ऐसे सफर की, जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है—आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा। हम सब इस जीवन में कुछ न कुछ खोज रहे हैं—शांति, खुशी, संतोष, या फिर अपने अस्तित्व का अर्थ। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी आत्मा का असली मकसद क्या है? आत्मा का परम लक्ष्य है परमात्मा से मिलन, और यह सफर आध्यात्मिकता के माध्यम से पूरा होता है। आत्मा से परमात्मा तक की…
सचेतन 3.26: नाद योग: आत्म-साक्षात्कार
स्वयं को जानने की यात्रा नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में।और आज हम बात करेंगे एक ऐसे विषय पर, जो हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा है—आत्म-साक्षात्कार, यानी स्वयं को जानने की यात्रा। आत्म-साक्षात्कार का मतलब है अपने असली स्वरूप को पहचानना, यह समझना कि हम केवल यह शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि उससे कहीं अधिक हैं। यह एक ऐसी यात्रा है, जिसमें हम अपने भीतर झांकते हैं, अपनी आत्मा से जुड़ते हैं, और अपने वास्तविक अस्तित्व को समझते हैं। आत्म-साक्षात्कार क्या है? आत्म-साक्षात्कार का…
सचेतन 3.27 : नाद योग: ॐ कार रूपी एकाक्षर
आध्यात्मिक सफर की शुरुआत नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम बात करेंगे उस एकाक्षर के बारे में, जो न केवल हमारे जीवन का आधार है, बल्कि पूरे ब्रह्मांड की ध्वनि का प्रतीक भी है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं ॐ के बारे में। इस सत्र में, हम जानेंगे कि ॐ का क्या महत्व है और कैसे यह हमारे जीवन में शांति और संतुलन ला सकता है। ॐ की महिमा: ॐ, जिसे ओंकार भी कहा जाता है, एक ऐसा अक्षर है जो तीन…
सचेतन 3.28 : नाद योग: ॐ की शक्ति
सृष्टि की मूल ध्वनि नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में।और आज हम बात करेंगे उस शक्तिशाली ध्वनि के बारे में, जो न केवल हमारी आध्यात्मिक यात्रा का आधार है, बल्कि पूरी सृष्टि का मूल भी है—ॐ की शक्ति। ॐ का महत्व ॐ, जिसे प्रणव मंत्र भी कहा जाता है, वह ध्वनि है जिसे ब्रह्मांड का आदिम और मूल स्वर माना गया है। यह वह ध्वनि है जिससे सृष्टि की उत्पत्ति हुई, और यही ध्वनि पूरी सृष्टि में व्याप्त है। जब हम ॐ का उच्चारण करते हैं,…
सचेतन 3.29 : नाद योग: ॐ कार के आठ अङ्ग, चार पैर, तीन नेत्र, और पाँच दैवतों का महत्व
जो व्यक्ति ॐ कार (प्रणव) से अनभिज्ञ है, उसे ब्राह्मण नहीं कहा जा सकता… नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र में। और आज हम चर्चा करेंगे “ॐ कार” के बारे में, जिसे ब्रह्मांड का सार माना जाता है। यह पवित्र ध्वनि, जो सभी जीवों और तत्वों का मूल है, हमारे जीवन में एक विशेष स्थान रखती है। आइए, समझते हैं ॐ कार के आठ अङ्ग, चार पैर, तीन नेत्र, और पाँच दैवतों का अर्थ और उनका महत्व। ॐ कार: संपूर्ण ब्रह्मांड का सार ॐ कार, जिसे प्रणव…
सचेतन 3.32 : नाद योग: चार अवस्थाएँ: आत्मा के अनुभव का सफर
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” कार्यक्रम में। और आज हम आत्मा के चार प्रमुख अनुभवों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें चार अवस्थाएँ कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है, जो हमें आत्मा के विभिन्न अनुभवों के माध्यम से जीवन के गहरे अर्थ को समझने में मदद करता है। चार अवस्थाएँ: आत्मा का सफर आत्मा के अनुभव को चार प्रमुख अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है। ये अवस्थाएँ हमें जीवन के विभिन्न स्तरों पर हमारे अस्तित्व का अनुभव कराती हैं। आइए, जानते हैं इन चार अवस्थाओं के बारे में विस्तार से: 1. जाग्रत अवस्था (वैश्वानर): जाग्रत अवस्था वह स्थिति…
सचेतन 3.33 : नाद योग: तुरीय अवस्था: शुद्ध चेतना की अंतिम अवस्था
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे इस खास सचेतन के विचार सत्र में। और आज हम चर्चा करेंगे एक अत्यंत गहन और आध्यात्मिक विषय पर, जिसे “तुरीय अवस्था” कहा जाता है। यह वह अवस्था है जहाँ आत्मा शुद्ध चेतना में प्रवेश करती है और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव करती है। तो आइए, जानते हैं कि तुरीय अवस्था क्या है और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है। तुरीय अवस्था का अर्थ “तुरीय” शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है “चौथा”। तुरीय अवस्था वह चौथी अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। यह शुद्ध…