सचेतन 3.02 : नाद योग: ख़ुशी के लिए नाद योग

| | 0 Comments

सचेतन 3.02 : नाद योग: ख़ुशी के लिए नाद योग

अ, ऊ, म ध्वनियों का शरीर पर प्रभाव

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में। आज हम आपको एक ऐसे विषय के बारे में बताएंगे, जिसे जानकर आपकी योग साधना में चार चांद लग जाएंगे। आज का हमारा विषय है ‘ख़ुशी के लिए योग-नाद योग’। यह विषय न सिर्फ आपको योग के महत्व को समझाएगा, बल्कि इसके वैज्ञानिक पहलुओं से भी अवगत कराएगा। तो चलिए, शुरू करते हैं।

आधुनिक विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि यह सारा अस्तित्व पलभर का है। जहां कम्पन होता है, वहां ध्वनि होती है। इसलिए यह सारा अस्तित्व एक ध्वनि है। ध्वनियों के इस जटिल संगम की मूल ध्वनि है – अ, ऊ, म। यह तीन ध्वनियां हमारे अस्तित्व की मूल ध्वनियां हैं और इन्हीं से अन्य ध्वनियों का सृजन होता है।

मूल ध्वनियां:

आप अपनी जीभ का प्रयोग किए बिना सिर्फ यही तीन ध्वनियां अपने मुँह से निकाल सकते हैं। ‘अ’, ‘ऊ’ और ‘म’ अपने मुँह के गड्ढे में अलग-अलग जगह रखते हुए आप इन तीन ध्वनियों को मिला सकते हैं और तमाम दूसरी ध्वनियां बना सकते हैं। अ, ऊ एवं म उन तमाम ध्वनियों का आधार हैं, जिन्हें आप उच्चारण कर सकते हैं। इन्हें मूल ध्वनि या सार्वभौमिक ध्वनि कहते हैं।

आउम ध्वनि:

अगर आप इन तीन ध्वनियों का साथ में उच्चारण करें तो ‘आउम’ ध्वनि उत्पन्न होती है। जब हम तंत्र को इन तीन ध्वनियों को सचेत कर सावधानी से उच्चारण करते हैं, तो हमारे शरीर के विभिन्न पहलु सक्रिय हो जाते हैं और ऊर्जावान हो जाते हैं।

ध्वनियों का प्रभाव:

अब हम देखते हैं कि इन ध्वनियों का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है:

  • ‘अ’ ध्वनि: जब आप ‘अ’ ध्वनि का उच्चारण करते हैं, तो कम्पन नाभि से ठीक नीचे होता है और फिर पूरे शरीर में फैल जाता है। हमारे 72 हज़ार नाड़ियों में ऊर्जा के माध्यम मिलते हैं और ये कम्पन पूरे शरीर में फैल जाते हैं। यह शरीर का रखरखाव केंद्र है, और ‘अ’ ध्वनि का उच्चारण इसे मजबूत करता है।
  • ‘ऊ’ ध्वनि: जब आप ‘ऊ’ ध्वनि का उच्चारण करते हैं, तो आपका ध्यान उस बिंदु पर जाता है, जहां पसलियां (ribs) चलती हैं और उसके ठीक नीचे एक नरम स्थान होता है। यहां से कम्पन शुरू होता है और ऊपर की ओर जाता है।
  • ‘म’ ध्वनि: जब आप ‘म’ ध्वनि का उच्चरण करते हैं, तो कम्पन आपके गले से शुरू होता है और शरीर के ऊपरी हिस्से में फैल जाता है।

योग-नाद योग के लाभ:

योग-नाद योग का नियमित अभ्यास करने से हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित होता है। इससे मानसिक शांति, ध्यान की गहराई और आंतरिक खुशी मिलती है। जब आप इन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं, तो आपके शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जो आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।

समापन:

दोस्तों, आज हमने जाना कि कैसे ‘अ’, ‘ऊ’ और ‘म’ ध्वनियां हमारे शरीर और मन को संतुलित और ऊर्जावान बनाती हैं। योग-नाद योग के माध्यम से हम न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं।

हमारे अगले एपिसोड में हम और भी रोचक योग विधियों और उनके लाभों पर चर्चा करेंगे। तब तक के लिए स्वस्थ रहें, खुश रहें और योग करते रहें। नमस्कार!


ध्यान दें: यह सचेतन का विचार, श्रोताओं को योग के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलुओं को समझाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी योग अभ्यास को शुरू करने से पहले एक योग्य योग प्रशिक्षक से परामर्श लें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Sachetan Logo

Start your day with a mindfulness & focus boost!

Join Sachetan’s daily session for prayers, meditation, and positive thoughts. Find inner calm, improve focus, and cultivate positivity.
Daily at 10 AM via Zoom. ‍