सचेतन 3.01 : नाद योग: एक आध्यात्मिक सफर

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नमस्कार दोस्तों, आप आज सचेतन के विचार के इस सत्र में सुनेगें ‘नाद योग: एक आध्यात्मिक सफर’ के बारे में । आज के इस विचार के सत्र में हम बात करेंगे नाद योग की, इसकी उत्पत्ति, महत्व और कैसे यह आपके जीवन में शांति और संतुलन ला सकता है।
परिचय नाद योग: 
नाद योग, जिसे ध्वनि योग भी कहा जाता है, योग का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण अंग है। नाद का मतलब होता है ध्वनि या कंपन, और योग का मतलब होता है जुड़ना। इस प्रकार, नाद योग का अर्थ है ध्वनि या संगीत के माध्यम से आत्मा और परमात्मा के साथ जुड़ना। यह योग की एक ऐसी पद्धति है जिसमें ध्वनि के माध्यम से ध्यान और आत्मसाक्षात्कार की प्रक्रिया होती है।
नाद योग का इतिहास
नाद योग की उत्पत्ति वेदों और उपनिषदों में बताई गई है। इसे प्राचीन ऋषि-मुनियों द्वारा साधना का एक प्रमुख साधन माना जाता था। नाद योग के माध्यम से वे उच्चतम चेतना की अवस्था को प्राप्त करते थे। यह योग पद्धति न केवल भारतीय संस्कृति में बल्कि तिब्बती बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
नाद योग के प्रकार
नाद योग को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है:
आहट नाद: यह बाहरी ध्वनियों से संबंधित होता है, जैसे कि संगीत वाद्ययंत्र, मंत्र, और भजन।आहत नाद वह नाद जो किसी वस्तु पर घर्षण / आघात से उत्पन्न हो उसे आहत नाद कहते हैं। इसी नाद का प्रयोग संगीत में किया जाता है। उदाहरणस्वरूप वीणा, सितार आदि वाद्यों में मिजराब से आघात करने पर उत्पन्न नाद, सांरगी या वायलिन में गज के घर्षण से उत्पन्न नाद, आहत नाद कहलाता है।
अनाहत नाद: यह आंतरिक ध्वनियों से संबंधित होता है, जो कि ध्यान और साधना के माध्यम से सुनी जा सकती हैं।योग दर्शन में अनाहत नाद उस ब्रह्मांडीय ध्वनि या तथाकथित “श्वेत ध्वनि” को दिया गया नाम है जो हर जगह मौजूद है, बिना किसी सक्रिय तरीके से बनाए जिसे महसूस किया जा सके। संस्कृत से, अनाहत का अर्थ है “बिना मारा हुआ” या “अजेय,” और नाद का अर्थ है “बहना।” कभी-कभी, इस ध्वनि को “अनिर्मित ध्वनि” के रूप में भी जाना जाता है।
नाद योग की विधि
नाद योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आपको एक शांत और स्थिर स्थान चुनना होगा। बैठकर अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। अपनी आँखें बंद करें और गहरी साँस लें। फिर किसी भी ध्वनि का चयन करें जो आपको पसंद हो, जैसे कि ‘ओम’, ‘आ’, ‘म’, आदि। इस ध्वनि को बार-बार गुनगुनाएं और ध्यान को ध्वनि पर केंद्रित करें।
नाद योग के लाभ
नाद योग के अनेक लाभ हैं। यह मानसिक शांति, तनाव मुक्ति, और ध्यान की गहरी अवस्था प्राप्त करने में मदद करता है। यह आत्म-साक्षात्कार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके नियमित अभ्यास से जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।
नाद योग के अनुभव
बहुत से लोगों ने नाद योग के माध्यम से अपने जीवन में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं। उनकी मानसिक स्थिति में सुधार हुआ है, आत्मविश्वास बढ़ा है, और जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण सकारात्मक हुआ है। यह योग पद्धति सभी उम्र के लोगों के लिए लाभकारी है।
समापन:
आज के इस विचार के सत्र में हमने जाना नाद योग के बारे में। यदि आप भी अपने जीवन में शांति और संतुलन लाना चाहते हैं, तो नाद योग का अभ्यास अवश्य करें। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी।



इस विचार के सत्र के माध्यम से हमने नाद योग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। आशा है कि श्रोताओं को यह जानकारी पसंद आएगी और वे इससे प्रेरणा लेंगे।

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