सचेतन :71 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र अपने विराट आयुर्बल के कारण  सृष्टि की रचना, रक्षा और प्रलयरूप गुणों को धारण किए हुए हैं।

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#RudraSamhita

शिवजी सृष्टि, पालन और संहार का कर्ता हैं। उनका स्वरूप सगुण और निर्गुण है! वे  ही सच्चिदानंद निर्विकार परमब्रह्म और परमात्मा हैं। सृष्टि की रचना, रक्षा और प्रलयरूप गुणों के कारण शिवजी ही ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र नाम धारण कर तीन रूपों में विभक्त  हुए हैं। शिवजी भक्तवत्सल  और भक्तों की प्रार्थना को सदैव पूरी करता हैं। मेरे इसी अंश से रुद्र की उत्पत्ति होगी।

सगुण और निर्गुण भक्ति में कोई अन्तर नहीं है. जब हम भक्ति मार्ग को अपनाते हैं तो शुरू शुरू में भगवान के निर्गुण, निराकार रूप को समझना आसान नहीं होता. सगुण, तनधारी रूप पर आकर्षण और ध्यान आसान होता है. भक्ति मार्ग के लिये इससे अधिक कुछ नहीं चाहिये. जिस भी रूप को देखकर आपका मन प्रसन्न होता है उसी रूप का दर्शन और ध्यान करते रहने से धीरे-धीरे वह स्वरुप आपके मन में अंकित हो जाता है तथा उसके बाद आप किसी भी स्थान और समय पर ध्यान कर सकते हैं.

जब हम भक्ति वश हो जाते हैं तो हम अधिक से अधिक धर्म के विषय में जानने का प्रयास करते हैं और अनजाने में ही ज्ञान मार्ग भी अपना लेते हैं जहां हमे पता चलता है कि ईन सभी सगुण रूपों के पीछे परमात्मा का एक और निर्गुण और निराकार स्वरूप है जो ईन सभी सगुण रूपों का कारक है. तो हम इस निर्गुण रूप को स्वीकार कर लेते हैं और ओंकार रूप, ज्योति स्वरुप प्रभू का यजन और मनन शुरू कर देते हैं.

ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल चार हजार युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है और चार हजार युग की एक रात होती है। 

युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है उसमें से अभी मात्र 5122 वर्ष बीत चुके हैं।

चार हजार युग का ब्रह्मा का एक दिन होता है और चार हजार युग की एक रात होती है। ब्रह्मा जी का तीस दिन का एक महीना और बारह महीनों का एक वर्ष होता है ! इस प्रकार के वर्ष-प्रमाण से ब्रह्मा की सौ वर्ष की आयु होती है और ब्रह्मा का एक वर्ष विष्णु का एक दिन होता है।  वह भी इसी प्रकार से सौ वर्ष जिएंगे तथा विष्णु का एक वर्ष रुद्र के एक दिन के बराबर होता है और वह भी इसी क्रम से सौ वर्ष तक स्थित रहेंगे। 

पूरे ब्रह्मांड की उच्चतम गणना के उल्लेख को समझना चाहिए 

ब्रह्मा की आयु: 53 लाख 10 हज़ार  गुना 4000 गुना 2 गुना 100 मानव वर्ष 

विष्णु की आयु: 53 लाख 10 हज़ार  गुना 4000 गुना 2 गुना 100 x 30 X 12 X 2 100 मानव वर्ष

रुद्र की आयु: 53 लाख 10 हज़ार  गुना 4000 गुना 2 गुना 100 x 30 X 12 X 2 100 x 100 मानव वर्ष 

तब शिव के मुख से एक ऐसा श्वास प्रकट होता है, जिसमें उनके इक्कीस हजार छ: सौ दिन और रात होते हैं। उनके छः बार सांस अंदर लेने और छोड़ने का एक पल और आठ घड़ी और साठ घड़ी का एक दिन होता है। उनके सांसों की कोई संख्या नहीं है इसलिए वे अक्षय हैं। अतः तुम मेरी आज्ञा से सृष्टि का निर्माण करो । उनके वचनों को सुनकर विष्णुजी ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि आपकी आज्ञा मेरे लिए शिरोधार्य है। यह सुनकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और अंतर्धान हो गए। उसी समय से लिंग पूजा आरंभ हो गई।

श्रीशिव बोले ;- मैं तुम दोनों की भक्ति से बहुत प्रसन्न हूं। मेरे इसी रूप का पूजन व चिंतन करना चाहिए। तुम दोनों महाबली हो । मेरे दाएं-बाएं अंगों से तुम प्रकट हुए हो। लोकपिता ब्रह्मा मेरे दाहिने पार्श्व से और पालनहार विष्णु मेरे बाएं पार्श्व से प्रकट हुए हो। मैं तुम पर मैं भली-भांति प्रसन्न हूं और तुम्हें मनोवांछित फल देता हूं। तुम दोनों की भक्ति सुदृढ़ हो । मेरी आज्ञा का पालन करते हुए ब्रह्माजी आप जगत की रचना करें तथा भक्त विष्णुजी आप इस जगत का पालन करें।

भगवान विष्णु बोले ;— प्रभो ! यदि आपके हृदय में हमारी भक्ति से प्रीति उत्पन्न हुई है और आप हम पर प्रसन्न होकर हमें वर देना चाहते हैं, तो हम यही वर मांगते हैं कि हमारे हृदय में सदैव आपकी अनन्य एवं अविचल भक्ति बनी रहे।

ब्रह्माजी बोले ;- नारद ! विष्णुजी की यह बात सुनकर भगवान शंकर प्रसन्न हुए। तब हमने दोनों हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया। 

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