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सचेतन :26. श्री शिव पुराण- शिव जी का विषपान शिवरात्रि पर्व के समान है।

सचेतन :26. श्री शिव पुराण-  शिव जी का विषपान शिवरात्रि पर्व के समान है। Sachetan:Shiva’s poison drink is like the Shivaratri festival. विद्येश्वर संहिता हमने समुद्र मंथन और शिकारी की कथा में शिवरात्रि यानी एक सरल भक्ति के भाव को समझने की कोशिश की। शिवजी ने विषपान किया और विष को गले में ही रखा […]

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सचेतन :25. श्री शिव पुराण- शिकारी की कथा- शिवरात्रि का माहात्म्य

सचेतन :25. श्री शिव पुराण-  शिकारी की कथा- शिवरात्रि का माहात्म्य  Sachetan:The Story of the Hunter – The Greatness of Shivratri विद्येश्वर संहिता एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा, ‘ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है, जिससे मृत्युलोक के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते हैं?’ उत्तर में शिवजी ने […]

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सचेतन :24. श्री शिव पुराण- समुद्र मंथन – शिवरात्रि की कथा

सचेतन :24. श्री शिव पुराण-  समुद्र मंथन – शिवरात्रि की कथा Sachetan:Churning of the Ocean – The Story of Shivaratri. विद्येश्वर संहिता भक्ति मार्ग सरल है और निराकार की साधना कठिन है। जो अव्यक्त और निराकार होता है, उसका आप अनुभव नहीं कर सकते। उसमें आप सिर्फ विश्वास कर सकते हैं। चाहे आप निराकार में […]

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सचेतन :20. श्रीशिवपुराण- भगवान शिव की पूजा मूर्ति में और लिंग में भी क्यों की जाती है ?

सचेतन :20. श्रीशिवपुराण-  भगवान शिव की पूजा मूर्ति में और लिंग में भी क्यों की जाती है ? Sachetan:Why is Lord Shiva worshiped in idol as well as in Linga? विद्येश्वरसंहिता यदि वेदार्थ ज्ञान से श्रवण, कीर्तन तथा मनन की  साधना करना असम्भव हो तो क्या करें?  सूतजी कहते हैं- शौनक ! जो श्रवण,  कीर्तन […]

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सचेतन :21. श्री शिव पुराण- पुरुष-वस्तु और शिव का साकार रूप

सचेतन :21. श्री शिव पुराण-  पुरुष-वस्तु और शिव का साकार रूप Sachetan:Purusha-Vastu and Shiva’s corporeal form विद्येश्वरसंहिता भगवान शिव की पूजा सब जगह  मूर्ति में और लिंग में भी क्यों की जाती है ? तो कहा गया है की शिव से भिन्न जो दूसरे दूसरे देवता हैं, वे साक्षात् ब्रह्म नहीं हैं। इसलिये कहीं भी […]

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सचेतन :23. श्री शिव पुराण- भक्ति भक्त की आंतरिक स्थिति है।

सचेतन :23. श्री शिव पुराण-  भक्ति भक्त की आंतरिक स्थिति है। Sachetan:Bhakti is the inner condition of the devotee. विद्येश्वर संहिता भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा का उत्सव ‘शिवरात्रि’ है। और इस उत्सव के लिए साकार और निराकार रूप दोनों की भावना करनी पड़ती है।  निराकार रूप यानी जिसका कोई आकार न हो, जिसके आकार […]

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सचेतन :22. श्री शिव पुराण- ‘शिवरात्रि’ के उत्सव के लिए साकार और निराकार…

सचेतन :22. श्री शिव पुराण-  ‘शिवरात्रि’ के उत्सव के लिए साकार और निराकार रूप दोनों की भावना करनी पड़ती है। Sachetan:For the celebration of ‘Shivratri’ both the corporeal and formless forms have to be felt. विद्येश्वरसंहिता लोग लिंग (निराकार रूप में) प्रकृति वस्तु की भावना से और मूर्ति (साकार) को पुरुष वस्तु के दोनों रूप […]

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सचेतन :19. श्रीशिवपुराण- यदि वेदार्थ ज्ञान से श्रवण, कीर्तन तथा मनन की …

नवंबर 22, 2022-  ShreeShivPuran  सचेतन :19. श्रीशिवपुराण-  यदि वेदार्थ ज्ञान से श्रवण, कीर्तन तथा मनन की  साधना करना असम्भव हो तो क्या करें?  Sachetan: What to do if it is impossible to practice hearing, chanting and meditation with Vedarth knowledge? विद्येश्वरसंहिता गंगा-यमुना के संगम स्थल परम पुण्यमय प्रयाग में, सत्यव्रतमें तत्पर रहनेवाले महातेजस्वी महाभाग महात्मा […]

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सचेतन :17. श्रीशिवपुराण- वेदांग से उत्कृष्ट परिणाम संभव हैं।

सचेतन :17. श्रीशिवपुराण- वेदांग से उत्कृष्ट परिणाम संभव हैं। Sachetan: Excellent results are possible from Vedanga. विद्येश्वरसंहिता वैदिक धर्म और सभ्यता की जड़ में संसार के सभी सभ्यता किसी न किसी रूप में दिखाई देता है। वेदार्थ ज्ञान में सहायक शास्त्र को ही वेदांग कहा जाता है। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त – […]

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सचेतन :18. श्रीशिवपुराण- वेदार्थ के ज्ञान से श्रवण, कीर्तन तथा मनन की साधना संभव है।

सचेतन :18. श्रीशिवपुराण-  वेदार्थ के ज्ञान से श्रवण, कीर्तन तथा मनन की  साधना संभव है।  Sachetan: With the knowledge of Vedartha, it is possible to listen, chant and practice the mind. विद्येश्वरसंहिता वेदार्थ ज्ञान में सहायक शास्त्र को ही वेदांग कहा जाता है। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरुक्त – ये छः वेदांग है। […]