#RudraSamhita https://sachetan.org/ केशव के रूप में भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य के अंदर छह सबसे बड़े शत्रुओं के बारे में बताया है की -काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष बड़े शत्रु मनुष्य के अंदर विराजमान रहते हैं । लोभ: मनुष्य के अंदर वस्तु के अभाव की भावना होते ही प्राप्ति, सान्निध्य या रक्षा की […]
Month: February 2023
सचेतन :77 श्री शिव पुराण- मनुष्य के अंदर के छह सबसे बड़े शत्रु (प्रेम से मुक्ति)
#RudraSamhita https://sachetan.org/ हमारे जीवन का सत्य यह है की जब तक मनुष्य भक्तिभाव से सनातन यानी सत्य की ओर नहीं झुक जाता है, तब तक ही उसे दरिद्रता, दुख, रोग और शत्रु जनित पीड़ा, ये चारों प्रकार के पाप दुखी करते हैं। दरिद्रता मनुष्य के भीतर पनपने वाला एक ऐसा हीनभाव है, जो औरों […]
सचेतन :76 श्री शिव पुराण- मनुष्य के अंदर के छह सबसे बड़े शत्रु
#RudraSamhita https://sachetan.org/ हमारे जीवन का सत्य यह है की जब तक मनुष्य भक्तिभाव से सनातन यानी सत्य की ओर नहीं झुक जाता है, तब तक ही उसे दरिद्रता, दुख, रोग और शत्रु जनित पीड़ा, ये चारों प्रकार के पाप दुखी करते हैं। दरिद्रता मनुष्य के भीतर पनपने वाला एक ऐसा हीनभाव है, जो औरों […]
सचेतन :74-75 श्री शिव पुराण- मनुष्य के अंदर के छह सबसे बड़े शत्रु
#RudraSamhita https://sachetan.org/ भगवान शिव की भक्ति सुखमय, निर्मल एवं सनातन रूप है तथा समस्त मनोवांछित फलों को देने वाली है। यह दरिद्रता, रोग, दुख तथा शत्रु द्वारा दी गई पीड़ा का नाश करने वाली है। सनातन का अर्थ है जो शाश्वत हो, सदा के लिए सत्य हो। जिन बातों का शाश्वत महत्व हो वही […]

सचेतन :74 श्री शिव पुराण- शिव की भक्ति से दरिद्रता, रोग, दुख तथा शत्रु द्वारा दी गई पीड़ा का नाश होता है।-2
#RudraSamhita भगवान शिव की भक्ति सुखमय, निर्मल एवं सनातन रूप है तथा समस्त मनोवांछित फलों को देने वाली है। यह दरिद्रता, रोग, दुख तथा शत्रु द्वारा दी गई पीड़ा का नाश करने वाली है। जब तक मनुष्य भगवान शिव का पूजन नहीं करता और उनकी शरण में नहीं जाता, तब तक ही उसे दरिद्रता, […]

सचेतन :73 श्री शिव पुराण- शिव की भक्ति से दरिद्रता, रोग, दुख तथा शत्रु द्वारा दी गई पीड़ा का नाश होता है।
#RudraSamhita https://sachetan.org/ ब्रह्माजी ने कहा ;- भगवान शिव की भक्ति सुखमय, निर्मल एवं सनातन रूप है तथा समस्त मनोवांछित फलों को देने वाली है। यह दरिद्रता, रोग, दुख तथा शत्रु द्वारा दी गई पीड़ा का नाश करने वाली है। जब तक मनुष्य भगवान शिव का पूजन नहीं करता और उनकी शरण में नहीं जाता, […]

सचेतन :72 श्री शिव पुराण- सगुण और निर्गुण भक्ति धारा
शिवजी सृष्टि, पालन और संहार का कर्ता हैं। उनका स्वरूप सगुण और निर्गुण है! शिवजी स्वयं कहते हैं कि मैं ही सच्चिदानंद निर्विकार परमब्रह्म और परमात्मा हूं। शिवजी की आराधना में निर्गुण भक्ति धारा और भक्त निराकार लिंग स्वरूप की उपासना पर जोर देते हैं। इस युग में भी इस भक्ति धारा के प्रमुख कवियों […]

सचेतन :71 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र अपने विराट आयुर्बल के कारण सृष्टि की रचना, रक्षा और प्रलयरूप गुणों को धारण किए हुए हैं।
#RudraSamhita शिवजी सृष्टि, पालन और संहार का कर्ता हैं। उनका स्वरूप सगुण और निर्गुण है! वे ही सच्चिदानंद निर्विकार परमब्रह्म और परमात्मा हैं। सृष्टि की रचना, रक्षा और प्रलयरूप गुणों के कारण शिवजी ही ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र नाम धारण कर तीन रूपों में विभक्त हुए हैं। शिवजी भक्तवत्सल और भक्तों की प्रार्थना को सदैव […]
सचेतन :70 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल
सचेतन :70 श्री शिव पुराण- ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र के आयुर्बल #RudraSamhita परमेश्वर शिव जी भगवान विष्णु जी से बोले, हे उत्तम व्रत का पालन करने वाले विष्णु! तुम सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होंगे। भगवान विष्णु जी को ब्रह्माजी के द्वारा रचे लोक में कोई दुख या संकट होने पर दुखों और […]