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सचेतन 134 : श्री शिव पुराण- भगवान शिव का एक नाम पशुपति नाथ है

हम सभी के स्वभाव में पशु के स्वभाव भी समाये हुए हैं वेद में भगवान शिव की अष्टमूर्तियों सर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, महादेव, ईशान रूपों की बात करते हैं । पशुपति या पशुपतिनाथ, का अर्थ है ” सभी जानवरों के भगवान “। यह मूल रूप से वैदिक काल में रुद्र का प्रतीक भी […]

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सचेतन 133 : श्री शिव पुराण- पशुपति प्राणियों के शिव

शिव और शून्यता आदिम रूपों या शक्तियों का प्रतिनिधित्व करने का अर्थ है की जो सर्वप्रथम, आदि में उत्पन्न, पहला या यूँ कहें की जो अविकसित है या सीधे-सादे ढंग का बहुत पुराना चीज है।  जब हम ‘शिव’ कहते हैं तो हमारा इशारा दो बुनियादी चीजों की तरफ होता है। ‘शिव’ का शाब्दिक अर्थ है- […]

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सचेतन 132 : श्री शिव पुराण- प्रकृति स्वरूप शिव के आठ स्वरूप लिंग

विशेष मूर्ति आदिम रूपों या शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है   प्रकृति के निम्नलिखित रूपों या शक्तियों की पूजा उनके आदिम रूप में ही की जाती है, बिना किसी विशेष मूर्ति के उनका प्रतिनिधित्व करते हुए यह शिव रूप है  सर्व  :- भूमि लिंग, कांचीपुरम , तमिलनाडु। यह शिव कांची क्षेत्र में है, जहां भगवान […]

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सचेतन 131 : श्री शिव पुराण- उग्रा रूप ही हवा है।

उग्रता में वैकल्पिक रूप को समाहित करना ही रुद्र रूप है उग्र रूप सर्वतोभद्र है जो सभी तरफ से सुन्दर है। युद्ध के उपरांत अर्जुन अपने सामने शिवजी को पाकर एकदम अवाक् रह गए। वो तुरंत शिवजी को प्रणाम करके स्तुति करने लगे। तब शिवजी बोले- ‘मैं तुम पर प्रसन्न हूं, वर मांगो।’ आप उग्र […]

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सचेतन 130 : श्री शिव पुराण- उग्र रूप सर्वतोभद्र यानी सभी तरफ से सुन्दर है।

शिव और अर्जुन के बीच युद्ध राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का परिचायक है। यह एक कसौटी भी है।  महर्षि व्यासजी के कहे अनुसार अर्जुन दिव्य मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जप और घोर तपस्या किया और भगवान शिव प्रसन्न हुए थे। उसी समय अर्जुन के पास दुर्योधन द्वारा भेजा हुआ ‘मूक’ नाम […]

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सचेतन 129 : श्री शिव पुराण- शिव आपकी तपस्या से प्रसन्न ज़रूर होते हैं 

कन्नप्पा शिव के कट्टर भक्त थे और पिछले जन्म में पांडवों के अर्जुन थे । कन्नप्पा शिव के कट्टर भक्त थे और श्रीकालहस्तीश्वर मंदिर से निकटता से जुड़े हुए थे। वह एक शिकारी था और माना जाता है कि श्रीकालहस्ती मंदिर के पीठासीन देवता, श्रीकालहस्तीश्वर लिंग को चढ़ाने के लिए उसने अपनी आँखें निकल ली […]

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सचेतन 128 : श्री शिव पुराण- भक्ति से अर्पित हर वस्तु को स्वीकार करना चाहिए

शिव आपकी परीक्षा लेते हैं  श्रीकालहस्तेश्वर मंदिर में शिकारी थिम्मन बैठकर शिव से अपने दिल की बात करते थे और शिवलिंग पर मांस अर्पण किया करते थे। भगवान शिव ने उनके प्रसाद को स्वीकार करते थे क्योंकि थिम्मन दिल के शुद्ध थे और उनकी भक्ति सच्ची थी। एक  बार लगा कि लिंग की सफाई जरूरी […]

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सचेतन 127 : श्री शिव पुराण- उग्रा महादेव, श्री कालहस्ती मंदिर की कथा

सचेतन 127 : श्री शिव पुराण- उग्रा महादेव, श्री कालहस्ती मंदिर की कथा  शिव सिर्फ़ भक्त की भक्ति से बंधे हुए हैं  श्री शिव पुराण भगवान शिव की अष्टमूर्तियों (रूपों) की बात करते हैं । सर्व, भव, रुद्र, उग्र, भीम, पशुपति, महादेव, ईशान शिव की आठ मूर्तियाँ हैं। पुराण इन आठ रूपों के लिए अधिष्ठानों […]