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सचेतन 152 : श्री शिव पुराण- तामसिक शक्ति शारीरिक और मानसिक बोझ पैदा करती है

तामसिक स्वभाव के भी तीन प्रकार होते हैं:- पासवा (कम बुद्धि वाले), मत्स्य (अधीर), वानस्पतिक- (ज्यादा भोजन करने वाले) आपके अंदर तीन प्रकार की शक्तियाँ मौजूद हैं- सत्त्विक शक्ति- रचनात्मक क्रिया और सत्य का प्रतीक है। राजसी शक्ति- लक्ष्यहीन कर्म और जुनून पर केंद्रित है। तामासी शक्ति- विनाशकारी क्रिया और भ्रम का प्रतिनिधित्व करता है। […]

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सचेतन 151 : श्री शिव पुराण- राजसी शक्ति अनियंत्रित ऊर्जा का रूप है

राजसी शक्ति आपके अंदर ६ प्रकार के स्वभाव को विकसित करते हैं- असुर, राक्षस, पिशाचिका, सर्प, प्रेत, शकुन! सात्विक शक्ति से आपका स्वभाव अपने आप सकारात्मक हो जाएगा, आप ख़ुद बख़ुद उदार, दयालु, खुले, निष्पक्ष और माफ कर देने वाले स्वभाव के बन जाएँगे। अपनी खुशी-खुशी और हर वो चीज को बांटने लगेंगे जो कुछ […]

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सचेतन 150 : श्री शिव पुराण- आपनी सत्त्विक शक्ति को पहचाने 

सात्विक शक्ति से आपका स्वभाव अपने आप सकारात्मक हो जाएगा आपके अंदर तीन प्रकार की शक्तियाँ मौजूद हैं- सत्त्विक शक्ति- रचनात्मक क्रिया और सत्य का प्रतीक है।  राजसी शक्ति- लक्ष्यहीन कर्म और जुनून पर केंद्रित है।  तामासी शक्ति- विनाशकारी क्रिया और भ्रम का प्रतिनिधित्व करता है।  सात्विक: सात्विक शक्ति के कारण लोग एक अच्छी याददाश्त […]

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सचेतन 149 : श्री शिव पुराण- आपकी सर्वोच्च शक्ति हमारी मानसिक स्थिति का परिणाम है।

“यत्न देवो भव” की उपासना करनी चाहिए  अगर आपकी परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं तो भी प्रयास और साधनों का उपयोग करते रहना चाहिये। थोड़ा थोड़ा प्रयास करके उच्च-स्तर तक पहुँचा जा सकता है किन्तु मानसिक शक्ति अपने साथ बनी रहनी चाहिये। कार्य करते समय ऊबो नहीं और उत्तेजित भी न हों। यह समझ लें कि हमें […]

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सचेतन 148 : श्री शिव पुराण- आपकी सर्वोच्च शक्ति मानसिक स्थिति का परिणाम है।

संसार की सम्पूर्ण बाह्य रचना की शक्ति और आधार मन है। स्वयं को सर्वोच्च शक्ति के स्रोत के साथ जोड़ने से एक चमकता हुआ प्रकाश का अनुभव आप अपने अंदर करेंगे जिसको प्रकृति कहते हैं।  शक्ति के मुख्य स्रोत (source) प्रायः मनुष्यों एवं जानवरों की पेशीय ऊर्जा (muscular energy), नदी एवं वायु की गतिज ऊर्जा, […]

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सचेतन 147 : श्री शिव पुराण- आपकी शक्ति ही आपकी प्रकृति है

आपके अंदर तीन प्रकार की शक्तियाँ मौजूद हैं ‘योग’ के अभ्यास से एक अद्भुत सितारा (आत्मा) आपके भृकुटि के बीच सदा चमकता रहेगा। प्रमुख वैज्ञानिक और प्रसारक भले ही इस स्त्रोत की मान्यता का खंडन करें परन्तु अनेक अनेक लोग दैनिक प्रार्थना, चिंतन, सकारात्मक पुष्टिकरण इत्यादि द्वारा अपने जीवन को सशक्त एवं आशावान बनाने में […]

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सचेतन 146 : श्री शिव पुराण- स्वयं को सर्वोच्च शक्ति के स्रोत के साथ जोड़ना 

एक अद्भुत सितारा (आत्मा) भृकुटि के बीच सदा चमकता है। आज हम बात करेंगे की एक अद्भुत सितारा (आत्मा) भृकुटि के बीच सदा चमकता है। जिससे आपके ईश्वरीय गुण से विकसित व्यक्तित्व का निर्माण होता है।  शिव स्वरूप और ईश्वरीय गुण का आभास और दर्शन होने के बाद आपको स्वयं एक अनुभव होता है की […]

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सचेतन 145 : श्री शिव पुराण- ईश्वरीय गुण का आभास और दर्शन 

 भक्तवत्सल यानी भगवान की सच्चे दिल से भक्ति करना। ईश्वरीय गुण का आधार शिव हैं जिसमें सृष्टि का निर्माण, उसका पालन करना और संहार कर्ता के रूप में महसूस किया जाता है। यह गुण एक व्यक्तित्व पर्सनालिटी का निर्माण करता है जिसको आप शारीरिक रूप से यानी भौतिक रूप में नहीं देख सकते हैं यह […]