पिछले तीन हजार वर्षों में कोई चौदह हजार छह सौ युद्ध हुए हैं! सचेतन का अर्थ तब आपको साकार दिखेगा जब हम स्मरण से इन वस्त्र, धन, पदवी, पद, सामाजिक प्रतिष्ठा, अहंकार, उपाधि को भूलना शुरू करेंगे। जब तक आप स्वयं को नही जानते हैं तक आप अंधकार में रहेंगे मन भी वस्त्रों से ज्यादा […]
Month: August 2023
सचेतन 187: जब तक आप स्वयं को नही जानते हैं तक आप अंधकार में रहेंगे
मन भी वस्त्रों से ज्यादा गहरा नहीं है। सचेतन का अर्थ तब आपको साकार दिखेगा जब हम स्मरण से इन वस्त्र, धन, पदवी, पद, सामाजिक प्रतिष्ठा, अहंकार, उपाधि को भूलना शुरू करेंगे। सचेतन में इन वस्त्रों के बाहर जो हमारा होना है उस तरफ, उस दिशा में कुछ बातें आपसे कहना चाहूँगा और यह स्मरण […]
सचेतन 186: वस्त्र, धन, पदवी, पद, सामाजिक प्रतिष्ठा, अहंकार, उपाधि हमारे प्राण या आत्मा नहीं हैं
अपने को खोकर अगर सारी दुनियां भी पाई जा सके तो उसका कोई मूल्य नहीं है। हम सचेतन में परमात्मा की खोज पर चर्चा को प्रारंभ किया है। कल सबसे पहले “मैं कौन हूँ?” प्रश्न आपके समक्ष रखा था। और यह उत्तर के पार है। जब आप सभी उत्तरों को अस्वीकृत कर कर देंगे, जब […]
सचेतन 185: मैं कौन हूँ?
परमात्मा कहाँ मिलेंगे? कल मुझसे एक मित्र ने पूछा की परमात्मा कहाँ हैं और कौन हैं? आपने सचेतन के दौरान बोला था कि परमात्मा उधारी में भरोसा नहीं करता तो परमात्मा को कैसे हम देख पायेंगे। आज से हम सचेतन में परमात्मा की खोज पर चर्चा करेंगे। आज सबसे पहले बात करते हैं की “मैं […]
सचेतन 184: श्री शिव पुराण- परमात्मा उधारी में भरोसा नहीं करता
हमारे जीवन की पूरी शिक्षण की व्यवस्था भ्रांत है। कठिनाई से ही सिद्धि का आगाज होता है।अपनी मर्जी को हटाओ! अपने को हटाओ! उसकी मर्जी पूरी होने दो। फिर दुख भी अगर हो तो दुख मालूम नहीं होगा। जिसने सब कुछ उस पर छोड़ दिया, अगर दुख भी हो तो वह समझेगा कि जरूर उसके […]
सचेतन 183: श्री शिव पुराण- कठिनाई से सिद्धि तक
अपनी मर्जी को हटाओ! कठिनाई से सिद्धि का आगाज होता है। अगर आपने दुख ही दुख पाया है तो बड़ी मेहनत की होगी कुछ पाने के लिए, बड़ा श्रम किया होगा, बड़ी साधना की होगी, तपश्र्चर्या की होगी! अगर दुख ही दुख पाया है तो बड़ी कुशलता अर्जित की होगी! दुख कुछ ऐसे नहीं मिलता, […]