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सचेतन 2.17: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – पराक्रम की परीक्षा से स्वयं के शक्ति और ज्ञान का आकलन होता है

देवता, गन्धर्व, सिद्ध और महर्षियों ने हनुमान जी के बल और पराक्रम की परीक्षा सूर्यतुल्य तेजस्विनी नागमाता सुरसा के द्वारा लिया।  हनुमान जी मैंनाक पर्वत से सत्कार पा कहा – मैनाक मुझे भी आपसे मिलकर बड़ी प्रसन्नता हुई है मेरा आतिथ्य हो गया और महाबली वांशिरोमणि हनुमान ने अपने हाथ से मैंनाक का स्पर्श किया […]

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सचेतन 2.16: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – प्रत्युपकार करना धर्म है।

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सचेतन 2.15: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – वसुधैव कुटुंबकम का एकमात्र कल्याण की आकांक्षा रखें

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सचेतन 2.14: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – वसुधैव कुटुंबकम का एकमात्र कल्याण की आकांक्षा रखें

क्षीर सागर और मैनाक पर्वत अपना सनातन धर्म समझकर हनुमान जी को विश्राम करने की पेशकश की  समुद्र की आज्ञा पाकर जल में छिपे उस विशालकाय पर्वत मैनाक ने दो ही घड़ी में हनुमान्जी को अपने शिखरों का दर्शन कराया। उस पर्वत के शिखर सुवर्ण मय थे और उन पर किन्नर और बड़े-बड़े नाग निवास […]

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सचेतन 2.13: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – समुद्र में छिपे हुए मैनाक पर्वत का दर्शन

सचेतन 2.13: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – समुद्र में छिपे हुए मैनाक पर्वत का दर्शन  नव वर्ष की शुभकामनाएँ! हमलोग चर्चा कर रहे थे की हनुमान जी उपमान अलंकार हैं क्योंकि आज के युग में वह अप्रत्यक्ष हैं। वह प्रसिद्ध बिन्दु या प्राणी या पर्वत या समुद्र आदि अभी भी मौजूद है जिसके साथ उपमेय रूप […]