Month: March 2024
सचेतन 2.56: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – जो अपनी स्त्रियों से संतुष्ट नहीं रहता उनकी बुद्धि धिक्कार देने योग्य है
सचेतन 2.55: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण का सीताजी को प्रलोभन
अब सीताजी रावण को समझाती हैं और उसे श्रीराम के सामने नगण्य बताना। रावण ने सीता जी को भरपूर प्रलोभन दिया कहा की मिथिलेशकुमारी! तुम मेरी भार्या बन जाओ। पातिव्रत्य के इस मोह को छोड़ो। मेरे यहाँ बहुत-सी सुन्दरी रानियाँ हैं तुम उन सबमें श्रेष्ठ पटरानी बनो। भीरु ! मैं अनेक लोकों से उन्हें मथकर […]
सचेतन 2.54: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण का सीताजी को प्रलोभन
राक्षसियों से घिरी हुई दीन और आनन्दशून्य तपस्विनी सीता को सम्बोधित करके रावण अभिप्राययुक्त मधुर वचनों द्वारा अपने मन का भाव प्रकट करने लगा।हाथी की ढूँड़ के समान सुन्दर जाँघों वाली सीते! मुझे देखते ही तुम अपने स्तन और उदर को इस प्रकार छिपाने लगी हो, मानो डर के मारे अपने को अदृश्य कर देना […]
सचेतन 2.53: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीता जी पति के विरह-शोक से उनका हृदय बड़ा व्याकुल था।
सचेतन 2.52: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण को देखकर दुःख, भय और चिन्ता में डूबी हुई सीता की अवस्था का वर्णन
सीता माता का आत्मज्ञानी राजसिंह भगवान् श्रीराम के पास जाने का संकल्प के घोड़ों से जुते हुए मनोमय रथ पर सवार हुई-सी प्रतीत होती थीं। अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोकवाटिका में आगमन हुआ और हनुमान जी ने उसे देखा। उस समय वायुनन्दन कपिवर हनुमान जी ने उन परम सुन्दरी रावणपत्नियों की करधनी […]
सचेतन 2.51: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोकवाटिका में आगमन
सचेतन 2.50: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीता माता के वात्सल्य रूप का दर्शन
हनुमान जी भयानक राक्षसियों के दृश्य बीच उत्तम शाखावाले उस अशोकवृक्ष को चारों ओर से घिरी हुई सती साध्वी राजकुमारी सीता देवी को देखा और वो वृक्ष के नीचे उसकी जड़ से सटी हुई बैठी थीं। उस समय शोभाशाली हनुमान जी ने जनककिशोरी जानकीजी की ओर विशेष रूप से लक्ष्य किया। उनकी कान्ति फीकी पड़ […]