आपका सचेतन में स्वागत है विचार का हरेक सत्र यह एक और संस्कृति और धर्म के अद्वितीय किस्सों में से एक है। आज, हम आपको एक बार फिर महान वारदान के रूप में हनुमान और देवी सीता के बीच वार्ता में खुद को डुबोते हैं, जहां हनुमान जी प्रभु राम के शारीरिक लक्षणों और गुणों […]
Month: April 2024
सचेतन 2.70: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीताजी का तर्क-वितर्क
तब शाखाके भीतर छिपे हुए, विद्युत्पुञ्ज के समान अत्यन्त पिंगल वर्णवाले और श्वेत वस्त्रधारी हनुमान जी पर उनकी दृष्टि पड़ी फिर तो उनका चित्त चञ्चल हो उठा। उन्होंने देखा, फूले हुए अशोक के समान अरुण कान्ति से प्रकाशित एक विनीत और प्रियवादी वानर डालियों के बीच में बैठा है। उसके नेत्र तपाये हुए सुवर्ण के […]
सचेतन 2.69: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमान जी, सीता जी को सुनाने के लिये श्रीराम-कथा का वर्णन किए
इस प्रकार बहुत-सी बातें सोच-विचारकर महामति हनुमान जी ने सीता को सुनाते हुए मधुर वाणी में इस तरह कहना आरम्भ किया—‘इक्ष्वाकुवंश में राजा दशरथ नाम से प्रसिद्ध एक पुण्यात्मा राजा हो गये हैं। वे अत्यन्त कीर्तिमान् और महान् यशस्वी थे। उनके यहाँ रथ, हाथी और घोड़े बहुत अधिक थे॥ उन श्रेष्ठ नरेश में राजर्षियों के […]
सचेतन 2.68: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमान जी को संशययुक्त कार्य प्रिय नहीं है
भगवान् श्रीराम के सुन्दर, धर्मानुकूल वचनों को सुना कर हनुमान जी ने सीता जी को विश्वास दिलाया आज हनुमान जी की जयंती है और हनुमान जी बहुत अच्छे योजना के योजनाकार्ता और मनोहर थे, वे वायु वेग से चलने वाले हैं, इन्द्रियों को वश में करने वाले, बुद्धिमानो में सर्वश्रेष्ठ हैं। हे वायु पुत्र, हे […]
सचेतन 2.67: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमान जी ने सीता जी से पहली बार मिलने पर सार्थक भाषा का प्रयोग किया
सचेतन 2.66: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – अशोक वृक्ष के नीचे शुभ शकुन प्रकट होते हैं
हनुमान जी ने सीताजी का विलाप, त्रिजटा का स्वप्नचर्चा — ये सब प्रसंग ठीक-ठीक सुन लिये। इस प्रकार अशोक वृक्ष के नीचे आने पर बहुत-से शुभ शकुन प्रकट हो उन व्यथितहृदया, सती-साध्वी, हर्षशून्य, दीनचित्त तथा शुभलक्षणा सीता का उसी तरह सेवन करने लगे, जैसे श्री सम्पन्न पुरुष के पास सेवा करने वाले लोग स्वयं पहुँच […]
सचेतन 2.65: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – मनुष्य की मानसिक वृत्तियों आदतों के अनुसार उसके शरीर की बनावट भी वैसी हो जाती है।
सचेतन 2.64: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – श्रीरघुनाथजी ने सीता को त्रिजटा के स्वप्न में प्राप्त किया
सचेतन 2.63: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – त्रिजटा का स्वप्न, राक्षसों के विनाश और श्रीरघुनाथजी की विजय की शुभ सूचना
स्वप्न- आपके विचार का एक “सेंसर” की तरह है जो एक अंतरात्मिक बल के अधीन रहता है सीता जी ने कहा की इन राक्षसियों के संरक्षण में रहकर तो मैं अपने श्रीराम को कदापि नहीं पा सकती, इसलिये महान् शोक से घिर गयी हूँ और इससे तंग आकर अपने जीवन का अन्त कर देना चाहती […]