नमस्कार दोस्तों, स्वागत है! आज हम सुनाएंगे एक रोचक और शिक्षाप्रद पंचतंत्र की कहानी, जिसमें हमारे साथ हैं साधू देव शर्मा और एक चालाक ठग। यह कहानी हमें मनुष्य के स्वभाव, लालच, और विश्वास के बारे में महत्वपूर्ण सबक देती है। तो आइए शुरू करते हैं… कहानी की शुरुआत: किसी समय की बात है, एक […]
Month: October 2024
पंचतंत्र की कथा-09 : स्त्री स्वभाव दंतिल और गोरंभ की कहानी का विश्लेषण
दंतिल और गोरंभ की कहानी का विश्लेषण पंचतंत्र के विदेशी अनुवादों की कहानी काफी दिलचस्प और प्रेरणादायक है। विद्वानों का कहना है कि पंचतंत्र एक ऐसा पर्वत है, जहाँ ज्ञान की बूटियाँ छिपी हुई हैं, जिनके सेवन से मूर्खता से जूझ रहा इंसान फिर से जी उठता है। इस अमृत की महिमा पंचतंत्र नामक ग्रंथ […]
पंचतंत्र की कथा-08 : दंतिल और गोरंभ की कहानी
पंचतंत्र की रचना करने वाले विष्णु शर्मा एक ऐसे विद्वान ब्राह्मण थे जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भारतीय नीतिशास्त्र में अपनी गहरी पकड़ बना ली थी। कई लोग विष्णु शर्मा के अस्तित्व पर सन्देह करते हैं, लेकिन इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं है। दरअसल, पंचतंत्र के सभी संस्करणों में उनके नाम […]
पंचतंत्र की कथा-07 : दमनक और संजीवक के बीच बातचीत:
पिंगलक एक शेर था, जंगल का शक्तिशाली राजा। वहीं संजीवक एक साधारण बैल था जिसे उसके मालिक ने उसकी बीमारी और कमजोरी के कारण त्याग दिया था। संजीवक को अकेला छोड़ दिया गया और वह यमुना नदी के किनारे आकर रहने लगा। वहीं हरी घास खाकर और आराम करके वह धीरे-धीरे स्वस्थ और मजबूत हो […]
पंचतंत्र की कथा-06 : पिंगलक का दमनक पर विश्वास
नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आप सभी का पंचतंत्र की कहानियों की इस खास श्रृंखला में। आज हम फिर से चलेंगे जंगल की ओर, जहाँ सिंहराज पिंगलक और चतुर गीदड़ दमनक के बीच हो रही है एक दिलचस्प चर्चा। इस कहानी में हम सीखेंगे कि धैर्य और समझदारी कैसे बड़े से बड़े डर का सामना करने […]
पंचतंत्र की कथा-05 : सियार और ढोल
दमनक ने जब देखा कि पिंगलक भयभीत होकर अपने राज्य को छोड़ने का विचार कर रहा है, तो उसने उसे समझाने के लिए एक प्रेरणादायक कहानी सुनाने का निश्चय किया। उसने पिंगलक को आश्वस्त करने के उद्देश्य से गोमायु और ढोल की कथा को प्रस्तुत किया। दमनक जानता था कि इस कहानी के माध्यम से […]
पंचतंत्र की कथा-04 : व्यर्थ का काम करने से जान भी जा सकती है।
बुद्धिमान व्यक्ति को स्वामी की इच्छा के अनुकूल कार्य करके उसे प्रसन्न करना चाहिए बंदर और लकड़ी का खूंटा कहानी सुनाकर करटक बोला, “इसीलिए कहता हूँ कि जिस काम से कोई अर्थ न सिद्ध होता हो, उसे नहीं करना चाहिए। व्यर्थ का काम करने से जान भी जा सकती है। अरे, अब भी पिंगलक जो […]
पंचतंत्र की कथा-03 : बंदर और लकड़ी का खूंटा
बिना सोचे-समझे, किसी और के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। एक घने जंगल में पिंगलक नाम का एक शेर और उसके के साथ दो गीदड़ हमेशा रहते थे—करटक और दमनक। ये दोनों शेर के सहायक थे और उसकी सेवा में लगे रहते थे। संजीवक बैल से पिंगलक की जब दोस्ती बढ़ती गई तो करटक […]
पंचतंत्र की कथा-02 : पंचतंत्र की कहानियों के पाँच ग्रंथ
विष्णु शर्मा ने राजपुत्रों को बुद्धिमान और ज्ञानवान बनाने के लिए पाँच ग्रंथ की रचना की थी। नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है पंचतंत्र की कहानियों की इस खास श्रंखला में। आज हम जानेंगे पंचतंत्र की कहानियों के पाँच ग्रंथ। यह कहानीयाँ हमें मित्रता, विश्वास और धोखे के बारे में गहरी सीख देती है। तो तैयार […]
पंचतंत्र की कथा-01 : पंचतंत्र के बारे में कुछ रोचक बातें
आइए, आज हम पंचतंत्र की महान कहानियों की दुनिया में कदम रखें। यह कहानी संग्रह हमारे भारतीय संस्कृत साहित्य की एक अद्भुत धरोहर है। इस महान रचना के रचयिता पंडित विष्णु शर्मा थे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की आयु में इस ग्रंथ की रचना की थी। आइए जानते हैं, इस अद्वितीय ग्रंथ के बारे में […]