बुद्ध ने अपनी साधना की यात्रा में कई तपस्वियों के साथ कुछ समय बिताया। वे उनकी कठिन तपस्याओं को देखते और समझते रहे। कुछ दिन वहां ठहरने के बाद उन्होंने निर्णय लिया कि अब आगे बढ़ना चाहिए। जब वे वहां से जाने लगे, तो आश्रम के साधु-संत उनके पीछे-पीछे चल पड़े। उनमें से एक वृद्ध […]
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सचेतन:बुद्धचरितम्-11 तपोवनप्रवेशम् (Entry into the Forest of Austerities)
जब गौतम बुद्ध ने अपने सारथी छन्दक को वापस भेज दिया और वन में स्वतंत्रता से घूमने की इच्छा की, तो उनका तेजस्वी और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर ओर चमक रहा था। उनके शरीर की अद्भुत शोभा सिंह के समान थी, जिससे वे किसी भी जगह को अपने प्रभाव से भर देते थे। जब वे एक […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-10 छन्दकनिवर्तनम् (The Return of Chandak):
छन्दक (बुद्ध का सारथी) के रथ लौटाने और बुद्ध के अकेले तपस्या की ओर बढ़ने का वर्णन। कुछ मुहूर्त में भगवान भास्कर के उदित हो जाने पर वे नरश्रेष्ठ एक आश्रम जा पहुँचे थे। सिद्धार्थ गौतम ने अपने सामने एक पवित्र स्थान देखा। यह था भार्गव ऋषि का आश्रम, जहाँ चारों ओर शांति और आध्यात्मिकता […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-9 अभिनिष्क्रमण-3 (The Great Renunciation)
मुक्ति की राह पर पहला कदम राजकुमार सिद्धार्थ ने दृढ़ निश्चय के साथ घोड़े की पीठ पर चढ़ते हुए सिंहनाद किया, “जब तक मैं जन्म और मृत्यु के चक्र का अंत नहीं देख लूँगा, तब तक मैं इस कपिलवस्तु नगर में वापस नहीं लौटूँगा!” उनकी इस प्रतिज्ञा को सुनकर देवता भी प्रसन्न हो उठे। स्वर्ग […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-8 अभिनिष्क्रमण-2 (The Great Renunciation)
एक समय की बात है, जब राजकुमार सिद्धार्थ के हृदय में वैराग्य का बीज अंकुरित हो चुका था। उनकी यह भावना इतनी प्रबल हो उठी कि वे अपने पिता और राजा की आज्ञा लेकर एक बार फिर वन की ओर चल पड़े। उनके मन में वन की सुंदरता और प्रकृति के अद्भुत गुणों को निहारने […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-7 अभिनिष्क्रमण (The Great Renunciation):
“बुद्धचरितम्” के सर्गों का वर्णन गौतम बुद्ध के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं और घटनाओं को सुंदर काव्यात्मक भाषा में प्रस्तुत करता है। बुद्धचरित 28 सर्गों में था जिसमें 14 सर्गों तक बुद्ध के जन्म से बुद्धत्व-प्राप्ति तक का वर्णन है। हमने अबतक भगवत्प्रसूति (The Divine Birth): इस सर्ग में बुद्ध के दिव्य जन्म का वर्णन […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-6 स्त्रीविघातन
स्त्रीविघातन (Renunciation of Women): यह सर्ग बुद्ध की महल की स्त्रियों और उनके प्रति उनकी अनासक्ति का वर्णन करता है।अभिनिष्क्रमण (The Great Renunciation): बुद्ध के महल छोड़ने और संन्यासी जीवन को अपनाने का वर्णन। Renunciation रिˌनन्सिˈएश्न् यानी किसी वस्तु या विश्वास को औपचारिक रूप से त्याग देना; परित्यागबुद्ध के जीवन की एक रोचक घटना यह […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-5 “संवेगोत्पत्तिः
संवेगोत्पत्तिः (मोहभंग) (The Genesis of Disenchantment): बुद्ध के मन में वैराग्य की उत्पत्ति का वर्णन है, जब उन्होंने वृद्धावस्था, रोग और मृत्यु का सामना किया।”मोहभंग” का अर्थ है भ्रांति का दूर होना, अज्ञान का नाश होना या निराशा की भावना। यह तब होता है जब किसी की उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं या जब कोई […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-4 “अन्तःपुरविहार”
शाक्यराज के राज्य में एक बालक का जन्म हुआ जिसे देखकर सभी लोगों के मन में बड़ी खुशी और उमंग भर गई। बालक के जन्म के साथ ही राज्य में संपत्ति और समृद्धि अपने आप बढ़ने लगी, जैसे बरसात के पानी से नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। धन-धान्य, हाथी, घोड़े सब कुछ बढ़ने लगे […]
सचेतन:बुद्धचरितम्-2: “भगवत्प्रसूतिः
“बुद्धचरितम्” संस्कृत का एक प्रसिद्ध महाकाव्य है, जिसे महान कवि अश्वघोष ने रचा। यह महाकाव्य गौतम बुद्ध के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर आधारित है। इसमें बुद्ध के जन्म से लेकर उनके बोधिसत्व प्राप्ति तक के महत्वपूर्ण प्रसंगों का विस्तृत वर्णन किया गया है। इस महाकाव्य की शैली वाल्मीकि रामायण से मिलती-जुलती है, जो इसे […]