0 Comments

सचेतन- 5: सत्य पर गहन ध्यान

निदिध्यासन (Nididhyasanam) – “ध्यान और आत्मसात” सुने और समझे हुए ज्ञान को ध्यानपूर्वक आत्मसात करना, अर्थात उस ज्ञान को अपने जीवन और चेतना में पूरी तरह उतारना। निदिध्यासन (Nididhyasana) – सत्य पर गहन ध्यान निदिध्यासन का अर्थ है — किसी सत्य, विचार, मंत्र या उपदेश पर बार-बार, एकाग्र होकर ध्यान करना। यह केवल सोचने भर […]

0 Comments

सचेतन- 4: चिंतन और संशय निवारण: चेतना का मार्ग

संशय का अर्थ होता है — संदेह या शंका। लेकिन यह केवल नकारात्मक भावना नहीं है। भारतीय दर्शन में संशय को चिंतन का पहला चरण माना गया है। 🌿 संशय – आत्मज्ञान की पहली सीढ़ी संशय वही अवस्था है जब मन प्रश्न करता है: इन्हीं प्रश्नों से मनन की शुरुआत होती है। संशय हमारी चेतना […]

0 Comments

सचेतन- 3: चिंतन और संशय निवारण चेतना का मार्ग खोलती है

चेतना को जानने के तीन मार्ग मनन (Mananam) – “चिंतन और संशय निवारण” परिभाषा: श्रवण से प्राप्त ज्ञान पर गहराई से विचार करना और उसमें उत्पन्न संदेहों को दूर करना – यही मनन है। महत्व: कैसे करें:  यथा याज्ञवल्क्य और गार्गी के बीच संवाद में, गार्गी ने बार-बार प्रश्न पूछे। यह मनन का उदाहरण है […]

0 Comments

सचेतन- 2: सुनने मात्र से चेतना की जागृति का मार्ग

चेतना को जानने के तीन मार्ग 1. श्रवण (Shravanam) – “सुनना और ग्रहण करना” परिभाषा: श्रवण का अर्थ है – गुरु या आचार्य से वेद, उपनिषद, भगवद्गीता जैसे शास्त्रों का ज्ञान श्रद्धा और ध्यानपूर्वक सुनना। महत्व: कैसे करें: कहानी: अर्जुन का श्रवण – समर्पण से ज्ञान की ओर कुरुक्षेत्र का मैदान युद्ध के लिए तैयार […]

0 Comments

सचेतन- 1: चेतना क्या है? Consciousness

चेतना का अर्थ है — जागरूकता, यानी अपने विचारों, भावनाओं, शरीर और आसपास की दुनिया के प्रति सचेत होना। 🌼 सरल शब्दों में: जब आप जानते हैं कि आप कौन हैं, कहाँ हैं, क्या सोच रहे हैं, और क्या महसूस कर रहे हैं — तो आप चेतन हैं। 🌟 उदाहरण: 🧠 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना मस्तिष्क […]