वेदांत कहता है—“मन तैयार हो जाए, तो सत्य का अनुभव सहज हो जाता है।” सत्य कोई दूर की चीज़ नहीं है,और न ही यह किसी विशेष स्थान में छुपा हुआ है।सत्य तो हमारे भीतर ही है—बस मन की चंचलता, अशांति और इच्छाओं की धूल उसे ढँक देती है। इसीलिए आत्मज्ञान की यात्रा में कहा गया […]
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सचेतन- 46 वेदांत सूत्र: 🌼 “आत्म-साक्षात्कार का मार्ग और षट्सम्पत्ति की तैयारी”
सचेतन सुनने वाले सभी साथियों को मेरा प्रणाम।आज हम बात करेंगे—आत्म-साक्षात्कार, यानी अपने असली स्वरूप को पहचानने की यात्रा के बारे में।वेदांत इसे मानव जीवन की सबसे सुंदर और सबसे सच्ची खोज कहता है। हम सब अपने जीवन में बहुत कुछ खोजते हैं—सुख, शांति, सफलता, मान-सम्मान…लेकिन धीरे-धीरे एक सवाल भीतर उठता है—“मैं सच में कौन […]
सचेतन- 45 वेदांत सूत्र: विरह → विरक्ति → वैराग्य → संन्यास
वेदान्त की चार सीढ़ियाँनमस्कार दोस्तों,आप सुन रहे हैं सचेतन —जहाँ हम जीवन, मन और आत्मा के अनुभवों कोसरल भाषा में समझते हैं। आज का विषय है—विरह, विरक्ति, वैराग्य और संन्यास वेदान्त में ये चारों एक गहरी, आंतरिक यात्रा के चरण हैं।बाहरी दुनिया से भीतर की ओर लौटने की यात्रा। विरह — दूरी का दर्द विरह […]
सचेतन- 44 वेदांत सूत्र: वैराग्य: त्याग नहीं, अनासक्ति
नमस्कार दोस्तों,आप सुन रहे हैं सचेतन —जहाँ हम जीवन और आत्मा के गहरे सच कोसरल और सहज भाषा में समझते हैं। आज हम बात करेंगे—वैराग्य की। लेकिन वह वैराग्य नहीं जिसे त्याग समझ लिया जाता है…बल्कि वास्तविक वैराग्य, जो मन की आज़ादी है। वैराग्य क्या है? हम अक्सर सोचते हैं कि वैराग्य मतलब— सब छोड़ […]
सचेतन- 43 वेदांत सूत्र: विवेक : क्या सच में हमारा है, और क्या सिर्फ़ कुछ समय का अतिथि
नमस्कार,मैं आपका स्वागत करता हूँ सचेतन की इस कड़ी में। आज हम बात करेंगे—विवेक, यानी वह आंतरिक प्रकाश जो हमें दिखाता है किजीवन में क्या वास्तव में हमारा हैऔर क्या केवल कुछ समय के लिए आया हुआ अतिथि। 1. विवेक क्या है? विवेक का अर्थ है—जीवन में होने वाली हर घटना, हर संबंध, हर वस्तु […]
सचेतन- 42 वेदांत सूत्र: साधना-चतुष्टय — मोक्ष और आत्मज्ञान के लिए चार आवश्यक योग्यताएँ
नमस्कार दोस्तों,आप सुन रहे हैं सचेतन,जहाँ हम जीवन को भीतर से समझने की कोशिश करते हैं—शांति, विवेक और आत्मज्ञान के रास्तों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। आज का विषय है—“साधना-चतुष्टय: मोक्ष या आत्मज्ञान की राह में ज़रूरी चार योग्यताएँ।” ये चार योग्यताएँ सिर्फ़ आध्यात्मिक साधना के लिए ही नहीं,बल्कि रोज़मर्रा के जीवन को सुंदर, […]
सचेतन- 41 वेदांत सूत्र: “मोक्ष: जीते-जी मुक्त होने का आनंद”
सचेतन- 41 वेदांत सूत्र: “मोक्ष: जीते-जी मुक्त होने का आनंद”(The Joy of Realizing Oneness) नमस्कार दोस्तों 🌸स्वागत है “जीवन के सूत्र” में।आज हम बात करेंगे वेदांत के चौथे अध्याय — फल अध्याय — की,जहाँ एक साधक की साधना का अंतिम फल बताया गया है। वह फल है — जीव और ब्रह्म की एकता का अनुभव,और […]
सचेतन- 40 वेदांत सूत्र: “साधना का मार्ग – जीवन को पूजा बनाना”
सचेतन- 40 वेदांत सूत्र: “साधना का मार्ग – जीवन को पूजा बनाना” (How Practice Turns Life into Meditation) नमस्कार दोस्तों 🌸स्वागत है “जीवन के सूत्र” में।आज हम बात करेंगे वेदांत के तीसरे अध्याय की —साधन अध्याय, यानी साधना का मार्ग। वेदांत कहता है — “सच्चा ज्ञान केवल पढ़ने या सुनने से नहीं,बल्कि जीने से आता […]
सचेतन- 39 वेदांत सूत्र: विरोध नहीं, समन्वय करो
(जीवन में एकता और समझदारी का सूत्र) नमस्कार दोस्तों 🌸स्वागत है “जीवन के सूत्र” में।आज हम बात करेंगे वेदांत के दूसरे अध्याय की —अविरोध अध्याय, यानी विरोधों का समाधान। यह अध्याय सिखाता है कि — “विरोध नहीं, समन्वय करो।” वेदांत कहता है —भले ही रास्ते अलग हों — सांख्य, योग, न्याय या वैशेषिक —पर मंज़िल […]
सचेतन- 38 वेदांत सूत्र: जीवन से सम्बन्ध
स्वागत है “जीवन के सूत्र” में।आज हम बात करेंगे उस सबसे सुंदर शब्द की —“सम्बन्ध”। वेदांत कहता है — “ब्रह्म ही सबका कारण और आधार है।”इसका मतलब है कि हम सब एक ही चेतना से जुड़े हैं —एक अदृश्य सूत्र से, जिसे हम “सम्बन्ध” कहते हैं। एक छोटी सी कहानी है — एक गाँव में […]
