ऋत के माध्यम से अमृत (ज्ञान, आत्मा, स्वर्ग) की अनुभूति होती है। “ऋतम् वद” का अर्थ है — सत्य बोलो, सत्य जियो, और जीवन को नियम व नैतिकता के मार्ग पर चलाओ।यह केवल सच बोलने की बात नहीं, बल्कि अपने विचार, वाणी और कर्म में सत्य, न्याय, और ब्रह्मांडीय व्यवस्था को अपनाने की शिक्षा है। […]
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सचेतन- 09-10: “ऋत” (ऋतम्) — सत्य, नियम, नैतिकता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था
“ऋत” (ऋतम्) — यह वेदों का एक अत्यंत गूढ़ और केंद्रीय सिद्धांत है, जो सत्य, नियम, नैतिकता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। यह केवल एक नैतिक संहिता नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का नैतिक और प्राकृतिक नियम है। “ऋत” (ऋतम्) का मतलब है — वह सच्चा और अटल नियम, जिस पर पूरी सृष्टि चलती […]
सचेतन- 09: “ऋत” (ऋतम्) — सत्य, नियम, नैतिकता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था
“ऋत” (ऋतम्) — यह वेदों का एक अत्यंत गूढ़ और केंद्रीय सिद्धांत है, जो सत्य, नियम, नैतिकता और ब्रह्मांडीय व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है। यह केवल एक नैतिक संहिता नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का नैतिक और प्राकृतिक नियम है। “ऋत” (ऋतम्) का मतलब है — वह सच्चा और अटल नियम, जिस पर पूरी सृष्टि चलती […]
सचेतन- 08: सच्चे साधक का मार्ग
“तपसा ब्रह्म विजिज्ञासस्व” — यजुर्वेद “तप द्वारा ब्रह्म को जानने का प्रयास करो।” यानी तप आत्मा और परमात्मा को जोड़ने वाला साधन है। तप का व्यावहारिक रूप (आज के जीवन में) तप आज के अर्थ में सुबह जल्दी उठना शरीर और मन पर अनुशासन क्रोध को रोकना मन का तप अहिंसा और करुणा से व्यवहार […]
सचेतन- 07: तप (Tap/perseverance/tenacity)
एक छोटा सा शब्द, लेकिन इसका अर्थ बहुत गहरा, विस्तृत और आत्मिक होता है। तप का शाब्दिक अर्थ है तपना, यानी स्वयं को अनुशासन, संयम और कठिनाई में डालकर किसी उच्च उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना।अंग्रेज़ी में इसे Perseverance या Tenacity कहा जा सकता है – यानी किसी लक्ष्य के प्रति अटल रहना, […]
सचेतन- 06:साधना की माँ जैसी प्राथमिकता
“जैसे माँ अपने बच्चे को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, वैसे ही साधना को भी अपने जीवन में अडिग स्थान देना चाहिए। प्रतिदिन थोड़ा समय, यदि श्रद्धा से समर्पित किया जाए, तो वह अंतरात्मा को बदल सकता है।” नमस्कार! आप सुन रहे हैं “सचेतन” — एक आंतरिक यात्रा की श्रृंखला। आज का विषय है — “माँ […]
सचेतन- 05:साधना (Sādhanā): मन पर विजय की दिशा” “Sādhanā: Mastery of the Mind”
नमस्कार और स्वागत है आपका ‘सचेतन’ के इस आत्म-खोज के नए अध्याय में।आज हम बात करेंगे उस गहराई की, उस पथ की — जिसे हम कहते हैं: “साधना”। साधना केवल किसी धार्मिक कर्मकांड का नाम नहीं है, यह एक पवित्र अनुशासन (sacred discipline) है — जिसमें हमारा शरीर, श्वास और मन, तीनों एक ही ध्येय […]
सचेतन- 04: गुरु ग्रंथ साहिब में साधना का अर्थ
“साधना (Spiritual Practice)” का गुरु ग्रंथ साहिब में अत्यंत सुंदर, सरल और आत्मिक वर्णन किया गया है। यहाँ साधना केवल कोई क्रिया नहीं, बल्कि जीवन का मार्ग, प्रभु से मिलने की यात्रा, और अहंकार से मुक्त होकर प्रेममय जीवन जीने की प्रक्रिया है। गुरबाणी में साधना को आत्मिक उन्नति, नाम सुमिरन, सेवा और सहज अवस्था […]
सचेतन- 0३: बाइबिल में साधना का अर्थ
साधना (Spiritual Practice) का बाइबिल (Bible) में बहुत गहराई से वर्णन किया गया है, यद्यपि वहाँ “साधना” शब्द नहीं आता, लेकिन इसका भाव — आत्म-शुद्धि, ईश्वर से जुड़ना, और प्रेमपूर्ण जीवन जीना — पूरी बाइबिल में स्पष्ट रूप से दिखता है। बाइबिल में साधना का अर्थ है:ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण,प्रार्थना और ध्यान के माध्यम […]
सचेतन- 02: इस्लाम में साधना का अर्थ
साधना (Spiritual Practice) का स्पष्ट और सुंदर वर्णन कुरान (Qur’an) में भी किया गया है, यद्यपि शब्द “साधना” संस्कृत शब्द है और कुरान में यह शब्द नहीं आता, फिर भी इसका भाव और स्वरूप कुरान में गहराई से मौजूद है। इस्लाम में साधना का अर्थ है — ईश्वर (अल्लाह) से जुड़ने के लिए आत्म-शुद्धि, नम्रता, […]