“आप एक साथ बहुत कुछ सोचते हो, एक साथ अपनी सोच के माध्यम से कई जगह पहुँच जाते हो, फिर भी कुछ शेष रह जाता है” —अद्भुत है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हमारा मन, चिंतन और कल्पना बहुत विशाल है — वह कई संभावनाओं तक एक साथ पहुंच सकता है, लेकिन पूर्णता फिर […]
Category: Gyan-Yog ज्ञान योग
सचेतन- 12: अहं ब्रह्मास्मि
“मैं ब्रह्म हूँ” — यानी “मैं खुद उस परम शक्ति का हिस्सा हूँ।” यह बात बताती है कि: 👉 हमारे अंदर वही चेतना है जो पूरे ब्रह्मांड में है।👉 हम छोटे नहीं हैं, हम उसी अनंत शक्ति से जुड़े हैं।👉 जब हम सच्चा ज्ञान, प्रेम और आत्म-चिंतन करते हैं, तब हमें यह समझ आता है […]
सचेतन- 11: तत्त्वमसि क्या होता है, जब हम ध्यान, प्रेम, सेवा और स्व-जागरूकता से जुड़ते हैं
क्या होता है, जब हम ध्यान, प्रेम, सेवा और स्व-जागरूकता से जुड़ते हैं सरल शब्दों में: हम सब में चेतना की एक ही रोशनी है — बस हमारे अनुभव, नाम और रूप अलग हैं। जैसे एक बूँद समुद्र से अलग नहीं होती, वैसे ही आत्मा परमात्मा से अलग नहीं है।“वैसे ही, चेतना तो ब्रह्मांड जितनी […]
सचेतन- 10: शेष – अनुभव वह पुल है, जो चेतना को वास्तविकता से जोड़ता है,
बहुत ही गूढ़ और सुंदर विचार है: “अनुभव वह पुल है, जो चेतना को वास्तविकता से जोड़ता है।” इस पंक्ति को हम नीचे कुछ भावपूर्ण और सरल तरीकों से समझ सकते हैं: 🌉 भावार्थ: चेतना (Consciousness) — वह अनदेखी शक्ति है जो हमें सोचने, समझने, महसूस करने और जानने की क्षमता देती है।वास्तविकता (Reality) — […]
सचेतन- 09: शेष – हमारी चेतना अनंत है, परंतु अनुभव सीमित
“शेष – जो बचा रह गया” नमस्कार दोस्तों,हम एक गहरे, बहुत ही सूक्ष्म विषय की बात पर पिछले दिनों चर्चा जारी किए थे — “शेष”, यानी वह जो बचा रह जाता है। वह जो हमारी सोच से परे है, अनुभव से बाहर, पर फिर भी हमारे भीतर है। हमारी यात्रा एक प्राचीन वैदिक श्लोक से […]
सचेतन- 07: शरीर, चक्र और पंचमहाभूत – योग की शक्ति को जानें
नमस्कारआप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान, आत्म-उन्नयन से जोड़ता है।आज का विषय है — पंचमहाभूत और उनके संबंधित चक्र और मुद्रा।क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर पाँच मूलभूत तत्वों से बना है?और हर तत्व हमारे शरीर के एक खास […]
सचेतन- 06: हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि का आधार है पंचभूत 🔱
पंचभूत क्रिया एक योगिक प्रक्रिया है जिसमें साधक या योगी इन पाँच तत्वों के साथ अपने भीतर संतुलन स्थापित करता है। यह क्रिया विशेष रूप से तप, साधना, ध्यान और आंतरिक जागरण के लिए की जाती है। हमारा शरीर, हमारा मन, और पूरी यह सृष्टि — पाँच तत्वों से बनी है:पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और […]
सचेतन- 04: “ज्ञान योग: जब जीवन परीक्षा लेता है”
नमस्कार प्यारे साथियों, आप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” पर विचार करते हैं जो आपको जीवन, योग और आत्म-ज्ञान की ओर ले जाता है।ज्ञान योग में जीवन की परीक्षा का क्या अर्थ है, और हम उसका अभ्यास कैसे करें। क्या है ज्ञान योग? ज्ञान योग यानी ज्ञान का मार्ग —वह रास्ता […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 32 बुद्ध के दस पवित्र स्तूपों की कथा
जब भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ, तो उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अस्थियों (धातु), भस्म और कलश को सम्मानपूर्वक कई भागों में विभाजित किया गया। इन पवित्र अवशेषों को विभिन्न स्थानों पर श्रद्धा और भक्ति से स्थापित किया गया। इस प्रकार पृथ्वी पर कुल दस पवित्र स्तूपों का निर्माण हुआ। अब […]
सचेतन- बुद्धचरितम् 31 महात्मा बुद्ध का अंतिम सम्मान
जब महात्मा बुद्ध ने संसार से विदा ली और सदा के लिए शांत हो गए, तब उनके भक्तों और अनुयायियों को बहुत दुख हुआ। मल्ल वंश के लोगों ने उनके पार्थिव शरीर को बड़े आदर के साथ सोने की पालकी (स्वर्णमयी शिविका) में रखा। वे पालकी को अपने कंधों पर उठाकर नगर के मुख्य द्वार […]