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सचेतन- 01: मनुष्यत्व – इस जीवन का सच्चा मूल्य

Manushyattva (Human Birth) is Rare and Precious  नमस्कार! स्वागत है आपका सचेतन के इस खास एपिसोड में। आज हम बात करेंगे – मनुष्यत्व की, यानी मनुष्य-जन्म की महत्ता और उसका आध्यात्मिक रहस्य। क्या आपने कभी सोचा है कि हम इंसान बने — यह कितनी बड़ी बात है? जी हाँ, वेद और उपनिषद में यह स्पष्ट […]

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सचेतन- 19: अनुभूति

🌸 यही अनुभूति वह पुल है… जो सिर्फ पढ़े या सुने गए ज्ञान को नहीं,बल्कि उसे हमारे दिल और आत्मा से गहराई से जोड़ती है। हममें से बहुत से लोग जीवन भर किताबें पढ़ते हैं, भाषण सुनते हैं, बातें समझते हैं —पर जब तक वह ज्ञान केवल दिमाग तक सीमित रहता है,वह बाहरी जानकारी ही […]

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सचेतन- 18: ध्यान और मनन (Meditation & Contemplation)

प्रज्ञा केवल ज्ञान नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभव है — प्रज्ञा: ज्ञान से आगे, अनुभव की ओर ले जाता है। प्रज्ञा का अर्थ केवल पढ़ा-पढ़ाया हुआ ज्ञान नहीं है।यह वह गूढ़ बुद्धि है जो तब जागती है जब हम ज्ञान को आत्मा में जीते हैं,जब सत्य केवल समझा नहीं जाता — अनुभव किया जाता है।और यह […]

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सचेतन- 17: बालक श्वेतकेतु की विवेक यात्रा

📜 छांदोग्य उपनिषद में बालक श्वेतकेतु की विवेक यात्रा में कहा गया है: “विवेक ही मनुष्य का श्रेष्ठ गुण है, जो उसे पशुता से ईश्वरत्व की ओर ले जाता है।” “पशुता से ईश्वरत्व” का अर्थ है — एक साधारण, इच्छाओं और संवेदनाओं में उलझे हुए मनुष्य का विकास करके एक उच्च, शांत, और दिव्य चेतना […]

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सचेतन- 15: साक्षी भाव (Witness Consciousness)

जब हम साक्षी भाव में रहते हैं, तो हम अपने अनुभवों को सिर्फ अपने विचारों, भावनाओं, और घटनाओं को एक दर्शक की तरह देखना, “देखते” हैं —  जैसे कोई फिल्म देख रहा हो — जुड़ा भी है, पर उसमें डूबा नहीं है। न जज करना, न रोकना, न पकड़ना — बस देखना, समझना और गुजर […]

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सचेतन- 14: आत्मनिरीक्षण (Self-Reflection)

जब हम प्रज्ञा को विकसित करते हैं, तो हमारी चेतना भी गहराई पाती है। यह विकास चार चरणों में समझा जा सकता है: 🌱 1. आत्मनिरीक्षण (Self-reflection): प्रज्ञा हमें सिखाती है कि हम अपने विचारों और भावनाओं को बिना न्याय किए देखें।👉 इससे हम जान पाते हैं कि हम कौन हैं, क्या सोचते हैं, और […]

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सचेतन- 13: प्रज्ञा से चेतना का विकास

🧠 प्रज्ञा से चेतना का विकास: चेतना का अर्थ है – जागरूकता।प्रज्ञा का अर्थ है – आत्मिक अनुभव से उत्पन्न गहरी बुद्धि। “आत्मिक अनुभव से उत्पन्न गहरी बुद्धि” का अर्थ है — ऐसा ज्ञान या समझ जो केवल पढ़ाई, तर्क या सोच से नहीं आता, बल्कि स्वयं के भीतर गहराई से अनुभव करके आता है। […]

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सचेतन- 12: प्रज्ञा (Prajña) – आत्मबोध या गूढ़ बुद्धि

प्रज्ञा का अर्थ है – वह गहरी बुद्धि जो केवल सोचने या समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मिक अनुभव से उत्पन्न होती है।यह वह स्थिति है जहाँ सत्य का प्रत्यक्ष बोध होता है — न केवल “जानना”, बल्कि “हो जाना”। 🧠 प्रज्ञा की विशेषताएँ: 📜 वेदांत में प्रज्ञा, उपनिषदों में कहा गया है:  “प्राज्ञः […]

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सचेतन- 11: समझदारी (Wisdom) – अनुभव और विवेक का मेल

जब मन स्थिर होता है, तब विज्ञान जाग्रत होता है — और जब विज्ञान शुद्ध होता है, तब प्रज्ञा (आत्मिक बोध) प्रकट होती है। “जब मन स्थिर होता है…” 👉 यानी जब मन चंचलता छोड़कर शांत और एकाग्र होता है, तब वह इंद्रियों से मिली जानकारियों को सही तरह से ग्रहण कर सकता है। “…तब […]

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सचेतन- 10: विज्ञान (Vijnana) – विवेकशील बुद्धि

‘विज्ञान’ का अर्थ है – विशेष ज्ञान या विवेकपूर्ण बुद्धि, जो चीज़ों को समझने, परखने और निर्णय लेने में हमारी मदद करती है। यह केवल जानकारी (Information) नहीं, बल्कि समझदारी (Wisdom) है – सही और गलत में फर्क करने की बुद्धि। 🔍 मुख्य कार्य: 🌼 उदाहरण से समझें: मान लीजिए आपने एक मिठाई देखी। यह […]