0 Comments

सचेतन- 2: सुनने मात्र से चेतना की जागृति का मार्ग

चेतना को जानने के तीन मार्ग 1. श्रवण (Shravanam) – “सुनना और ग्रहण करना” परिभाषा: श्रवण का अर्थ है – गुरु या आचार्य से वेद, उपनिषद, भगवद्गीता जैसे शास्त्रों का ज्ञान श्रद्धा और ध्यानपूर्वक सुनना। महत्व: कैसे करें: कहानी: अर्जुन का श्रवण – समर्पण से ज्ञान की ओर कुरुक्षेत्र का मैदान युद्ध के लिए तैयार […]

0 Comments

सचेतन- 1: चेतना क्या है? Consciousness

चेतना का अर्थ है — जागरूकता, यानी अपने विचारों, भावनाओं, शरीर और आसपास की दुनिया के प्रति सचेत होना। 🌼 सरल शब्दों में: जब आप जानते हैं कि आप कौन हैं, कहाँ हैं, क्या सोच रहे हैं, और क्या महसूस कर रहे हैं — तो आप चेतन हैं। 🌟 उदाहरण: 🧠 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चेतना मस्तिष्क […]

0 Comments

सचेतन- 15: धन्यवाद और रिश्तों में सिद्धता

धन्यवाद केवल औपचारिक “शब्द” नहीं है — यह हमारे रिश्तों की गहराई और मूल्य की पहचान का प्रतीक है। जब हम किसी को धन्यवाद देते हैं, तो हम यह स्वीकार करते हैं कि उस व्यक्ति ने हमारे जीवन में कोई सकारात्मक असर डाला है। एक रिश्ते में: इसलिए — जिस रिश्ते में धन्यवाद है, वो […]

0 Comments

सचेतन- 14: धन्यवाद देना और उसे आत्म साथ करना

“धन्यवाद देना और उसे आत्म साथ करना” — इस वाक्य का अर्थ गहराई से जुड़ा हुआ है विनम्रता, कृतज्ञता और आत्मविकास से। इसे दो भागों में समझा जा सकता है: 1. धन्यवाद देना (Gratitude) धन्यवाद देना केवल औपचारिक “शब्द” नहीं है, बल्कि यह मन का भाव है, जो यह दर्शाता है कि हम किसी व्यक्ति […]

0 Comments

सचेतन- 13: ध्यान-सूत्र: “दशाङ्गुलम् – उस पार भी कुछ है

“आप एक साथ बहुत कुछ सोचते हो, एक साथ अपनी सोच के माध्यम से कई जगह पहुँच जाते हो, फिर भी कुछ शेष रह जाता है” —अद्भुत है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हमारा मन, चिंतन और कल्पना बहुत विशाल है — वह कई संभावनाओं तक एक साथ पहुंच सकता है, लेकिन पूर्णता फिर […]

0 Comments

सचेतन- 12: अहं ब्रह्मास्मि

“मैं ब्रह्म हूँ” — यानी “मैं खुद उस परम शक्ति का हिस्सा हूँ।” यह बात बताती है कि: 👉 हमारे अंदर वही चेतना है जो पूरे ब्रह्मांड में है।👉 हम छोटे नहीं हैं, हम उसी अनंत शक्ति से जुड़े हैं।👉 जब हम सच्चा ज्ञान, प्रेम और आत्म-चिंतन करते हैं, तब हमें यह समझ आता है […]

0 Comments

सचेतन- 11: तत्त्वमसि क्या होता है, जब हम ध्यान, प्रेम, सेवा और स्व-जागरूकता से जुड़ते हैं

क्या होता है, जब हम ध्यान, प्रेम, सेवा और स्व-जागरूकता से जुड़ते हैं सरल शब्दों में: हम सब में चेतना की एक ही रोशनी है — बस हमारे अनुभव, नाम और रूप अलग हैं। जैसे एक बूँद समुद्र से अलग नहीं होती, वैसे ही आत्मा परमात्मा से अलग नहीं है।“वैसे ही, चेतना तो ब्रह्मांड जितनी […]

0 Comments

सचेतन- 10: शेष – अनुभव वह पुल है, जो चेतना को वास्तविकता से जोड़ता है,

बहुत ही गूढ़ और सुंदर विचार है: “अनुभव वह पुल है, जो चेतना को वास्तविकता से जोड़ता है।” इस पंक्ति को हम नीचे कुछ भावपूर्ण और सरल तरीकों से समझ सकते हैं: 🌉 भावार्थ: चेतना (Consciousness) — वह अनदेखी शक्ति है जो हमें सोचने, समझने, महसूस करने और जानने की क्षमता देती है।वास्तविकता (Reality) — […]

0 Comments

सचेतन- 09: शेष – हमारी चेतना अनंत है, परंतु अनुभव सीमित

“शेष – जो बचा रह गया” नमस्कार दोस्तों,हम एक गहरे, बहुत ही सूक्ष्म विषय की बात पर पिछले दिनों चर्चा जारी किए थे — “शेष”, यानी वह जो बचा रह जाता है। वह जो हमारी सोच से परे है, अनुभव से बाहर, पर फिर भी हमारे भीतर है। हमारी यात्रा एक प्राचीन वैदिक श्लोक से […]

0 Comments

सचेतन- 07: शरीर, चक्र और पंचमहाभूत – योग की शक्ति को जानें

नमस्कारआप सुन रहे हैं सचेतन जहाँ हम “आत्मा की आवाज़” — पर विचार रखते हैं जो आपको प्रकृति, योग और आत्म-ज्ञान, आत्म-उन्नयन से जोड़ता है।आज का विषय है — पंचमहाभूत और उनके संबंधित चक्र और मुद्रा।क्या आप जानते हैं कि हमारा शरीर पाँच मूलभूत तत्वों से बना है?और हर तत्व हमारे शरीर के एक खास […]