सचेतन में आज हम सभी सुन्दरकाण्ड के इस कहानी के इस अद्भुत पथ पर हैं जहां, हनुमानजी ने अपनी कौशल भरी चालाकी और नेतृत्व का परिचय दिया। अब, चलिए, सुनिए उनकी इस अद्भुत कहानी को। सीताजी का हनुमान जी को पहचान के रूप में चित्रकट पर्वत पर घटित हुए एक कौए के प्रसंग को सुनाती […]
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सचेतन 2.80: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमान जी की आत्मकथा
अपने मन में चल रहे विचारों से भय और चिंताओं का सामना करना। कपिवर हनुमान जी ने सीता जी से कहा “आपको पीठ पर बैठाकर मैं समुद्र को लाँघ जाऊँगा।देवि! विदेहनन्दिनि! आप मेरे साथ चलकर लक्ष्मणसहित श्रीरघुनाथजी का शोक दूर कीजिये’’। सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ। तब ( उसे देखकर […]
सचेतन 2.79: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीता जी को हनुमान ने अपनी पीठ पर बैठने का आग्रह किया।
सीता जी हनुमान जी पर वानरोचित चपलता होने का संदेह किया हनुमान जी ने सीता जी से कहा की मैं अभी आपको इस राक्षसजनित दुःख से छुटकारा दिला दूंगा। सती-साध्वी देवि! आप मेरी पीठ पर बैठ जाइये। कपिवर हनुमान जी ने सीता जी से कहा “आपको पीठ पर बैठाकर मैं समुद्र को लाँघ जाऊँगा। मुझ […]
सचेतन 2.77: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – प्रेम और समर्पण
श्रीराम कब मेरा उद्धार करेंगे? जितने ही प्राचीन कथाओं के गहराई में आप जाते हैं उतने ही भक्ति और समर्पण की कहानी हमारे दिलों को छू जाती है। आज की कथा है हनुमान जी की, जो अपनी प्रिय सीता माता को उद्धार करने के लिए प्रेरित हुए रामचंद्र जी के दूत बन कर अशोक वाटिका […]
सचेतन 2.76: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमानजी का प्रेम संदेश: सीता को आश्वासन
हनुमान जी का सीता को मुद्रिका देना, सीता का ‘श्रीराम कब मेरा उद्धार करेंगे’ यह उत्सुक होकर पूछना तथा हनुमान् का श्रीराम के सीताविषयक प्रेम का वर्णन करके उन्हें सान्त्वना देना नमस्ते और स्वागत है आपका, प्रिय श्रोताओं, हमारे इस सचेतन के विचार के सत्र में “हनुमान् का प्रेम संदेश: सीता को आश्वासन”। आज हम […]
सचेतन 2.75: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – हनुमानजी का आदर्श परिचय
आज के सचेतन में आपका स्वागत है, जहाँ हम एक भक्ति और वीरता की कहानी में खुद को डालते हैं, तभी हमें सचेतन के विचार का महत्व पता चल पता है। मेरे साथ चलें जब हम हनुमान की कहानी में खो जाते हैं, भगवान राम के दूत, और उनकी दिव्य सीता के संदर्भ में। विशाल […]
सचेतन 2.74: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – श्रीराम और सुग्रीव की मित्रता
जटायु की मृत्यु से कुमार अङ्गद को बहुत दुःख हुआ था। सुबह की सुहावनी वेला, वनों की छाया, और प्रेम का प्रकाश। नमस्कार, और स्वागत है आपका “सचेतन 2.74” में और आज हम साक्षात्कार करेंगे एक रोमांचक कथा के साथ। आज हम सुंदरकांड के इस प्रस्तुति में, हम सुनेंगे कैसे भगवान श्रीराम और उनके साथी […]
सचेतन 2.73: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – धर्म, अर्थ, और काम का पालन करना
प्रभु राम के लक्षणों और गुणों का वर्णन हमेंशा से धर्म, अर्थ, और काम के तीनों कालों में धर्म का पालन करते हैं। वे सत्य और धर्म के परायण हैं, न्यायसंगत धन का संग्रह करते हैं, और प्रजा के हित में कार्य करते हैं। वैसे तो धर्म को धारण करना चाहिए, अर्थ अर्जित करना चाहिए, […]
सचेतन 2.72: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – प्रभु राम के लक्षणों और गुणों का वर्णन
आपका सचेतन में स्वागत है विचार का हरेक सत्र यह एक और संस्कृति और धर्म के अद्वितीय किस्सों में से एक है। आज, हम आपको एक बार फिर महान वारदान के रूप में हनुमान और देवी सीता के बीच वार्ता में खुद को डुबोते हैं, जहां हनुमान जी प्रभु राम के शारीरिक लक्षणों और गुणों […]