जो स्त्री अपने से प्रेम नहीं करती, उसकी कामना करने वाले पुरुष के शरीर में केवल ताप ही होता है और अपने प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री की कामना करने वाले को उत्तम प्रसन्नता प्राप्त होती है। रावण ने विभिन्न राक्षसियों को अनुकूल-प्रतिकूल उपायों से, साम, दान और भेदनीति से तथा दण्ड का भी भय […]
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सचेतन 2.58: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण आभूषणों से विभूषित होकर भी श्मशानचैत्य (मरघट में बने हुए देवालय)- की भाँति सीता जी को भयंकर प्रतीत होता था।
विभिन्न राक्षसियों का अनुकूल-प्रतिकूल उपायों से, साम, दान और भेदनीति से तथा दण्ड का भी भय दिखाकर विदेहकुमारी सीता को वश में लाने की चेष्टा करना। कल मैंने बात किया था की काम (प्रेम) बड़ा टेढ़ा होता है और जिसके प्रति आप जैसे भी बँध जाते हैं वैसे ही उसके प्रति करुणा और स्नेह उत्पन्न […]
सचेतन 2.57: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – काम (प्रेम) बड़ा टेढ़ा होता है
जिसके प्रति आप जैसे भी बँध जाते हैं वैसे ही उसके प्रति करुणा और स्नेह उत्पन्न हो जाता है। मास दिवस महुँ कहा न माना। तौ मैं मारबि काढ़ि कृपाना। रावण ने सीता जी से कहा की यदि महीने भर में यह कहा न माने तो मैं इसे तलवार निकालकर मार डालूँगा। और भवन गयउ […]
सचेतन 2.56: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – जो अपनी स्त्रियों से संतुष्ट नहीं रहता उनकी बुद्धि धिक्कार देने योग्य है
सचेतन 2.55: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण का सीताजी को प्रलोभन
अब सीताजी रावण को समझाती हैं और उसे श्रीराम के सामने नगण्य बताना। रावण ने सीता जी को भरपूर प्रलोभन दिया कहा की मिथिलेशकुमारी! तुम मेरी भार्या बन जाओ। पातिव्रत्य के इस मोह को छोड़ो। मेरे यहाँ बहुत-सी सुन्दरी रानियाँ हैं तुम उन सबमें श्रेष्ठ पटरानी बनो। भीरु ! मैं अनेक लोकों से उन्हें मथकर […]
सचेतन 2.54: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण का सीताजी को प्रलोभन
राक्षसियों से घिरी हुई दीन और आनन्दशून्य तपस्विनी सीता को सम्बोधित करके रावण अभिप्राययुक्त मधुर वचनों द्वारा अपने मन का भाव प्रकट करने लगा।हाथी की ढूँड़ के समान सुन्दर जाँघों वाली सीते! मुझे देखते ही तुम अपने स्तन और उदर को इस प्रकार छिपाने लगी हो, मानो डर के मारे अपने को अदृश्य कर देना […]
सचेतन 2.53: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीता जी पति के विरह-शोक से उनका हृदय बड़ा व्याकुल था।
सचेतन 2.52: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – रावण को देखकर दुःख, भय और चिन्ता में डूबी हुई सीता की अवस्था का वर्णन
सीता माता का आत्मज्ञानी राजसिंह भगवान् श्रीराम के पास जाने का संकल्प के घोड़ों से जुते हुए मनोमय रथ पर सवार हुई-सी प्रतीत होती थीं। अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोकवाटिका में आगमन हुआ और हनुमान जी ने उसे देखा। उस समय वायुनन्दन कपिवर हनुमान जी ने उन परम सुन्दरी रावणपत्नियों की करधनी […]
सचेतन 2.51: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोकवाटिका में आगमन
सचेतन 2.50: रामायण कथा: सुन्दरकाण्ड – सीता माता के वात्सल्य रूप का दर्शन
हनुमान जी भयानक राक्षसियों के दृश्य बीच उत्तम शाखावाले उस अशोकवृक्ष को चारों ओर से घिरी हुई सती साध्वी राजकुमारी सीता देवी को देखा और वो वृक्ष के नीचे उसकी जड़ से सटी हुई बैठी थीं। उस समय शोभाशाली हनुमान जी ने जनककिशोरी जानकीजी की ओर विशेष रूप से लक्ष्य किया। उनकी कान्ति फीकी पड़ […]