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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-61 : भगवान ने जो लिखा है, उसे कोई नहीं मिटा सकता।

जब हिरण्यक और लघुपतनक बातचीत कर रहे थे, मंथरक भी वहां आ पहुंचा। हिरण्यक ने चिंता जताई कि अगर शिकारी आता है, तो मंथरक की वजह से सबको खतरा हो सकता है। उन्होंने मंथरक को लौट जाने को कहा, लेकिन मंथरक ने बताया कि वह अपने मित्र के दुःख को सहन नहीं कर पा रहा […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-60 : ज्ञान की शक्ति हमेंशा आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती है

आज दो उद्धरणों को सोचते हैं जिनमें गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक सोच निहित है, जो ज्ञान और विचार-विमर्श के महत्व को दर्शाती है। पहला, जो लोग ज्ञान और विद्या की गहराई में डूबे होते हैं, उन्हें ज्ञान के सुंदर विचारों और उच्चारणों में बड़ी गहरी खुशी और उत्तेजना महसूस होती है। ऐसे बुद्धिजीवी लोगों को […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-59 : जीवन में संकट के समय में उचित निर्णय लें

नमस्कार, दोस्तों! आप सभी का स्वागत है हमारे “सचेतन के इस विचार के सत्र में। आज हम बात करेंगे एक ऐसी कहानी की, जो हमें सिखाती है कि कैसे बुरे समय में तेजी से कदम उठाना चाहिए। तो, बिना किसी देरी के, चलिए शुरू करते हैं। इस कहानी के माध्यम से, मंथरक यह भी समझाता […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-58 : मान, आध्यात्मिकता, और जीवन की चुनौतियाँ

नमस्कार! आपका स्वागत है सचेतन के सत्र में, जहां हम जीवन और समाज के महत्वपूर्ण पहलुओं पर गहराई से विचार करते हैं। कल हम एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सार्थक विषय पर चर्चा किए थे: “धन की तीन गतियां – दान, उपभोग और नाश”। धन, जो कि हम सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-57 : धन की तीन गतियां- दान, उपभोग और नाश

“तालाब का पानी बाहर निकालना ही उसकी रक्षा है। उसी तरह, पैदा किए गए धन का दान ही उसकी रक्षा है।यह विचार बहुत ही सुंदर है और गहरे अर्थ को दर्शाता है। यह कहावत दर्शाती है कि जिस तरह तालाब का पानी अगर बाहर नहीं निकाला जाए तो सड़ सकता है, उसी तरह अगर धन […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-55 :भोग नहीं सकने वाला धन

नमस्कार दोस्तों! आज हम आपका स्वागत करते हैं हमारे ‘सचेतन सत्र’ में। इस सत्र में हम जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करेंगे। “काम मेहनत से पूरे होते हैं, सिर्फ सोचने से नहीं। सोते हुए शेर के मुंह में हिरन खुद नहीं चला जाता है। बिना उद्यम के कोई मनोरथ पूरा नहीं होता है। […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-54 : प्रेम, पहचान, और नियति

“प्राप्तव्यमर्थं लभते मनुष्यः।” नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में।जो भी  विचार साझा किए हैं, वे गहन और प्रेरणादायक हैं। इस कथा के माध्यम से आपने भाग्य और परिश्रम के महत्व को बहुत सुंदरता से व्यक्त किया है। यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे मेहनत और धैर्य के बिना सफलता प्राप्त करना […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-52 : सौ रुपये की किताब

“प्राप्तव्यमर्थं लभते मनुष्यः।” नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में।जब जीत हाँसिल नहीं होती तो हम कहते हैं की, “जीवन में हर किसी का भाग्य उसके कर्मों से बंधा होता है। जो धन मुझे मिलना था, वह किसी और के हाथ से मेरे पास आया है। इसलिए, मैंने जो किया, वह मेरे कर्म […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-51 : गरीबी के संघर्ष और धन की शक्ति

नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में। आज की कहानी एक व्यक्ति की है, जो गरीबी और धन के बीच उलझा हुआ था। वह सोचने लगा, “अब मुझमें एक अंगुली भी कूदने की ताकत नहीं बची है, इसलिए धनहीन पुरुषों का जीवन व्यर्थ है।” एक कहावत है,“बिना धन के थोड़ी बुद्धि वाले पुरुष […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-50 : सूअर और सियार की कथा

आयु, कर्म, धन, विद्या, और मृत्यु पहले से ही तय होते हैं नमस्कार! आज के सचेतन एपिसोड में आपका स्वागत है। आज हम एक दिलचस्प कहानी सुनेंगे, जो हमें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। यह कहानी एक भील, एक सूअर और एक सियार की है। किसी जंगल में एक भील नाम का शिकार […]