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सचेतन- 7: आत्मा – चेतना का आधार

🕉️ उपनिषदों के अनुसार ब्रह्म को जानना: 🌟 ब्रह्म को जानने का परिणाम: 📖 एक सरल उदाहरण: जैसे समुद्र की लहरें समुद्र से अलग नहीं होतीं, वैसे ही आत्मा ब्रह्म से अलग नहीं है।ब्रह्म को जानना = यह जानना कि मैं लहर नहीं, मैं स्वयं समुद्र हूँ। 1. अहं ब्रह्मास्मि (Aham Brahmasmi) – मैं ब्रह्म […]

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सचेतन- 6: निदिध्यासन – आत्मा का साक्षात्कार

स्वामी विवेकानंद कहते थे — “जब विचारों का शुद्धिकरण हो जाता है, तब मन सत्य में स्थित होता है। तब ज्ञाता और ज्ञेय के बीच भेद मिट जाता है। यही है निदिध्यासन — आत्मा के स्वरूप में स्थित हो जाना।” निष्कर्ष निदिध्यासन आत्म-चिंतन की वह पराकाष्ठा है, जहाँ ‘जानना’ और ‘हो जाना’ एक हो जाता […]

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सचेतन 3.25 : नाद योग: आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा

एक आध्यात्मिक सफर नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में। आज हम बात करेंगे एक ऐसे सफर की, जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है—आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा। हम सब इस जीवन में कुछ न कुछ खोज रहे हैं—शांति, […]