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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-42 : हिरण्यक और लघुपतनक की कथा

मित्रता सुबह और दोपहर की छाया के समान है – शुरुआत में छोटी, लेकिन समय के साथ बढ़ती जाती है। पिछले सत्र में हमने सुना की दक्षिण भारत के महिलारोप्य नामक नगर के पास एक घना बरगद का पेड़ था, जहां लघुपतनक नाम का बुद्धिमान कौआ रहता था। एक दिन उसने देखा कि एक बहेलिया […]