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सचेतन 3.34 : नाद योग: तुरीय अवस्था का आध्यात्मिक महत्व

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे “तुरीय अवस्था” के आध्यात्मिक महत्व पर। यह वह अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। तुरीय अवस्था शुद्ध चेतना की वह उच्चतम अवस्था है, जिसे आत्म-साक्षात्कार के लिए आवश्यक माना जाता है। आइए, इस अवस्था के आध्यात्मिक पहलुओं को […]