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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-66 : कपिंजल खरगोश-२

इस कहानी में खरगोश और गौरैया के मध्य संवाद और उनकी चिंताओं, आशाओं और धार्मिक विचारों को बहुत सुंदरता से प्रस्तुत किया गया है। यह कहानी प्राचीन भारतीय साहित्य और दर्शन के समृद्ध तत्वों को समेटे हुए है, जहां प्रकृति और जीवन के प्रति मानवीय विचारों और नैतिकता का गहन अध्ययन किया गया है। कहानी […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-65 : कपिंजल खरगोश

यह कहानी है एक खरगोश की, जो प्राचीन काल में एक वृक्ष के नीचे रहते थे। गौरैया नामक पक्षी भी उसी वृक्ष पर रहता था, और खरगोश, जिसका नाम कपिंजल था, उसी पेड़ के खोखले में रहता था। वे दोनों शाम के समय अपने-अपने दिन की बातें करते और आपस में अनेक आश्चर्यजनक बातें साझा […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-64 : बुद्धिमान खरगोश और गजराज

हाथियों का झुंड उस इलाके में अपना डेरा जमा चका था। खरगोशों को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। वे सब मिलकर सोचने लगे कि हाथियों को कैसे वापस भगाया जाए, क्योंकि उनके आने से उनका जीवन कठिन हो गया था। खरगोशों ने तय किया कि वे एक प्रतिनिधि को चुनेंगे जो हाथियों के […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-60 : ज्ञान की शक्ति हमेंशा आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करती है

आज दो उद्धरणों को सोचते हैं जिनमें गहरी आध्यात्मिक और दार्शनिक सोच निहित है, जो ज्ञान और विचार-विमर्श के महत्व को दर्शाती है। पहला, जो लोग ज्ञान और विद्या की गहराई में डूबे होते हैं, उन्हें ज्ञान के सुंदर विचारों और उच्चारणों में बड़ी गहरी खुशी और उत्तेजना महसूस होती है। ऐसे बुद्धिजीवी लोगों को […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-54 : प्रेम, पहचान, और नियति

“प्राप्तव्यमर्थं लभते मनुष्यः।” नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में।जो भी  विचार साझा किए हैं, वे गहन और प्रेरणादायक हैं। इस कथा के माध्यम से आपने भाग्य और परिश्रम के महत्व को बहुत सुंदरता से व्यक्त किया है। यह कहानी हमें दिखाती है कि कैसे मेहनत और धैर्य के बिना सफलता प्राप्त करना […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-52 : सौ रुपये की किताब

“प्राप्तव्यमर्थं लभते मनुष्यः।” नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में।जब जीत हाँसिल नहीं होती तो हम कहते हैं की, “जीवन में हर किसी का भाग्य उसके कर्मों से बंधा होता है। जो धन मुझे मिलना था, वह किसी और के हाथ से मेरे पास आया है। इसलिए, मैंने जो किया, वह मेरे कर्म […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-51 : गरीबी के संघर्ष और धन की शक्ति

नमस्कार दोस्तों! आपका स्वागत है हमारे ‘सचेतन सत्र’ में। आज की कहानी एक व्यक्ति की है, जो गरीबी और धन के बीच उलझा हुआ था। वह सोचने लगा, “अब मुझमें एक अंगुली भी कूदने की ताकत नहीं बची है, इसलिए धनहीन पुरुषों का जीवन व्यर्थ है।” एक कहावत है,“बिना धन के थोड़ी बुद्धि वाले पुरुष […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-50 : सूअर और सियार की कथा

आयु, कर्म, धन, विद्या, और मृत्यु पहले से ही तय होते हैं नमस्कार! आज के सचेतन एपिसोड में आपका स्वागत है। आज हम एक दिलचस्प कहानी सुनेंगे, जो हमें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाती है। यह कहानी एक भील, एक सूअर और एक सियार की है। किसी जंगल में एक भील नाम का शिकार […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-49 : शाण्डिली द्वारा तिल-चूर्ण बेचने की कथा

“नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन सत्र’ में। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पंचतंत्र के ‘मित्रलाभ’ (मित्र प्राप्ति) से ली गई एक और प्रेरणादायक कहानी – ‘शाण्डिली यानी ब्राह्मणी द्वारा तिल-चूर्ण बेचने की कथा’।  विष्णु शर्मा कहते हैं की -किसी स्थान में तिल-चूर्ण बेचने वाला बरसात के मौसम में व्रत करने के लिए […]

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सचेतन, पंचतंत्र की कथा-48 : गजराज और मूषकराज

मित्रलाभ की प्रेरक कथा “नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका ‘सचेतन सत्र’ में। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पंचतंत्र के ‘मित्रलाभ’ (मित्र प्राप्ति) से ली गई एक और प्रेरणादायक कहानी – ‘गजराज और मूषकराज’। यह भाग सच्चे मित्र बनाने और उनकी अहमियत पर केंद्रित है। इसमें बताया गया है कि मित्रता जीवन को कैसे […]