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सचेतन- 12: प्रज्ञा (Prajña) – आत्मबोध या गूढ़ बुद्धि

प्रज्ञा का अर्थ है – वह गहरी बुद्धि जो केवल सोचने या समझने तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मिक अनुभव से उत्पन्न होती है।यह वह स्थिति है जहाँ सत्य का प्रत्यक्ष बोध होता है — न केवल “जानना”, बल्कि “हो जाना”। 🧠 प्रज्ञा की विशेषताएँ: 📜 वेदांत में प्रज्ञा, उपनिषदों में कहा गया है:  “प्राज्ञः […]

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सचेतन- 2: सुनने मात्र से चेतना की जागृति का मार्ग

चेतना को जानने के तीन मार्ग 1. श्रवण (Shravanam) – “सुनना और ग्रहण करना” परिभाषा: श्रवण का अर्थ है – गुरु या आचार्य से वेद, उपनिषद, भगवद्गीता जैसे शास्त्रों का ज्ञान श्रद्धा और ध्यानपूर्वक सुनना। महत्व: कैसे करें: कहानी: अर्जुन का श्रवण – समर्पण से ज्ञान की ओर कुरुक्षेत्र का मैदान युद्ध के लिए तैयार […]