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सचेतन- 12:तैत्तिरीय उपनिषद्: शिक्षा से ब्रह्मानंद तक — साधना की संपूर्ण यात्रा

ब्रह्मविद्या कि साधना पढ़ने या सुनने से नहीं, बल्कि तप, साधना और आत्मनिष्ठा से प्रकट होती है। ब्रह्मविद्या का अर्थ – “ब्रह्म” का ज्ञान। ब्रह्म = अनंत, सर्वव्यापक चेतना, जो सृष्टि के प्रत्येक कण में विद्यमान है।ब्रह्मविद्या वह विद्या है जो हमें यह समझाती है कि — हम केवल शरीर या मन नहीं हैं, बल्कि […]