विषय: ब्रह्म ही आनंद है नमस्कार मित्रों,आप सुन रहे हैं “सचेतन यात्रा” —जहाँ हम उपनिषदों की वाणी से जीवन का सार खोजते हैं। आज हम बात करेंगे तैत्तिरीय उपनिषद् की एक अद्भुत वाणी की —“आनंदो ब्रह्मेति व्यजानात्।” अर्थात् — आनंद ही ब्रह्म है। हम सब जीवन में आनंद चाहते हैं —कभी वस्तुओं में, कभी लोगों […]
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सचेतन 3.37 : नाद योग: प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म
शरीर और मन की शुद्धि की विधि नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। और आज हम चर्चा करेंगे प्राणायाम की एक विशेष विधि के बारे में, जिसमें त्रिविध ब्रह्म—ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र का प्रतीकात्मक महत्व निहित है। यह प्राणायाम विधि हमारे शरीर और मन को शुद्ध करने का एक अद्वितीय साधन है। […]
