भगवान नित्य विग्रह और चिन्मय हैं जिनमें आपका भगवत्स्वरूप दिखता है। भाव योग में जब जीवन ऊर्जा का रूपांतरण होता है तो आपका हृदय करुणा रस से द्रवित हो जाता है। यही भाव योग के मूल में श्रद्धा का होना है। अगर श्रद्धा का भाव नहीं है तो सब कुछ मिथ्या है। भाव करते-करते भगवत्कृपा […]