ऋत के माध्यम से अमृत (ज्ञान, आत्मा, स्वर्ग) की अनुभूति होती है। “ऋतम् वद” का अर्थ है — सत्य बोलो, सत्य जियो, और जीवन को नियम व नैतिकता के मार्ग पर चलाओ।यह केवल सच बोलने की बात नहीं, बल्कि अपने विचार, वाणी और कर्म में सत्य, न्याय, और ब्रह्मांडीय व्यवस्था को अपनाने की शिक्षा है। […]
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सचेतन- बुद्धचरितम् 23- 19-20 सर्ग – बुद्ध का चातुर्मास तक स्वर्ग में रुकना
जब महात्मा बुद्ध ने अपने ज्ञान और उपदेशों से कई शास्त्रज्ञों को जीत लिया, तब वे राजगृह से अपने जन्म स्थान—अपने पिता राजा शुद्धोदन के नगर कपिलवस्तु की ओर लौटे। पुत्र के आने का समाचार सुनकर राजा शुद्धोदन बहुत प्रसन्न हुए। वे नगरवासियों के साथ बुद्ध से मिलने के लिए निकल पड़े। लेकिन जब उन्होंने […]
