हनुमान जी से आप सीख ले कर सिर्फ़ कर्म को विशिष्टता और उत्कृष्टता के साथ करते रहें। अलंकार चारुत्व को कहते हैं। यह हनुमान जी का सौंदर्य, चारुत्व, काव्य रूप में उनकी शोभा का धर्म ही अलंकार का व्यापक अर्थ है। यह अलंकार को महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में प्राणभूत तत्त्व के रूप में लिखा […]