सचेतन 3.13 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि

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सचेतन 3.13 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि

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नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में.

नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ

1. आहट (Aahat): जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं।, इसमें संगीत, मंत्र, या किसी वाद्य यंत्र की ध्वनि शामिल होती है।

2. परमाहट (Paramaahat): जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं। यह ध्वनियाँ अधिक गहरी और सूक्ष्म होती हैं।

3. अणाहट (Anahata): जो भीतर से उत्पन्न होती हैं। इन्हें केवल ध्यान और साधना के माध्यम से सुना जा सकता है।

4. अनाहत (Anahata): जो भीतर से उत्पन्न होती हैं। यह ध्वनियाँ अत्यंत सूक्ष्म और गहन होती हैं।

आज हम नाद योग की गहनता और उसमें उपयोग की जाने वाली चार प्रमुख ध्वनियों के बारे में जानेंगे। नाद योग में ध्वनियों का विशेष महत्व है और यह हमारे ध्यान और साधना की दिशा में एक महत्वपूर्ण मार्ग है। तो आइए, इन चार प्रकार की ध्वनियों को विस्तार से समझें।

1. आहट (Aahat):

  • आहट ध्वनियाँ क्या हैं?
    • आहट वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं।
    • इसमें संगीत, मंत्र, या किसी वाद्य यंत्र की ध्वनि शामिल होती है।
  • आहट ध्वनियों का महत्व:
    • यह ध्वनियाँ हमारे ध्यान की शुरुआती अवस्था में सहायक होती हैं।
    • ये ध्वनियाँ हमें बाहरी जगत से जोड़ती हैं और ध्यान में स्थिरता लाने में मदद करती हैं।

2. परमाहट (Paramaahat):

  • परमाहट ध्वनियाँ क्या हैं?
    • परमाहट भी वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं।
    • यह ध्वनियाँ अधिक गहरी और सूक्ष्म होती हैं।
  • परमाहट ध्वनियों का महत्व:
    • यह ध्वनियाँ हमारे ध्यान को गहराई में ले जाती हैं।
    • ये ध्वनियाँ हमें आंतरिक शांति और स्थिरता की ओर अग्रसर करती हैं।

3. अणाहट (Anahata):

  • अणाहट ध्वनियाँ क्या हैं?
    • अणाहट वे ध्वनियाँ हैं जो भीतर से उत्पन्न होती हैं।
    • इन्हें केवल ध्यान और साधना के माध्यम से सुना जा सकता है।
  • अणाहट ध्वनियों का महत्व:
    • यह ध्वनियाँ हमारे आत्मिक जागरण का प्रतीक होती हैं।
    • यह ध्वनियाँ हमारे मन और आत्मा को शुद्ध करती हैं और हमें आत्म-साक्षात्कार की दिशा में ले जाती हैं।

4. अनाहत (Anahata):

  • अनाहत ध्वनियाँ क्या हैं?
    • अनाहत भी वे ध्वनियाँ हैं जो भीतर से उत्पन्न होती हैं।
    • यह ध्वनियाँ अत्यंत सूक्ष्म और गहन होती हैं।
  • अनाहत ध्वनियों का महत्व:
    • यह ध्वनियाँ हमें ब्रह्म के साथ एकाकार करती हैं।
    • यह ध्वनियाँ हमारे ध्यान की उच्चतम अवस्था में सहायक होती हैं और हमें मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में ले जाती हैं।

नाद योग के अभ्यास का आरंभ ‘आहट’ ध्वनि से होता है। सबसे पहले हम बाहरी ध्वनियों को सुनकर ध्यान की स्थिति में आते हैं। इसके लिए हम शांति से बैठकर किसी भी मधुर संगीत या मंत्र को सुन सकते हैं। यह हमें भीतर की ओर ले जाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

जब हम नियमित रूप से इस अभ्यास को करते हैं, तो धीरे-धीरे हमें ‘परमाहट’ ध्वनियों का अनुभव होने लगता है। ये ध्वनियाँ सूक्ष्म होती हैं और हमें और गहरे ध्यान की ओर ले जाती हैं। इन ध्वनियों के माध्यम से हम अपनी अंतरात्मा से जुड़ते हैं और एक अनोखी ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

अगले चरण में, हमें ‘अणाहट’ ध्वनियों का अनुभव होता है। यह अनुभव बहुत ही अलौकिक होता है। यह वह ध्वनि है जो हमारे भीतर उत्पन्न होती है, इसे सुनने के लिए हमें गहरे ध्यान में जाना पड़ता है। यह ध्वनि हमें एक नए आयाम में ले जाती है, जहाँ हम अपनी आत्मा की सच्चाई से परिचित होते हैं।

और अंत में, ‘अनाहत’ ध्वनि का अनुभव होता है। यह ध्वनि परम शांति और आनंद की ध्वनि होती है। यह हमें पूर्णता की ओर ले जाती है, जहाँ हम अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। यह ध्वनि हमें अपने भीतर की गहराईयों तक ले जाती है और हमें आत्म साक्षात्कार की अवस्था में ले जाती है।

ध्यान और साधना में ध्वनियों का उपयोग:

नाद योग में इन चार प्रकार की ध्वनियों का उपयोग हमारे ध्यान और साधना को गहन और प्रभावी बनाता है। आहट और परमाहट ध्वनियाँ हमें बाहरी जगत से जोड़ती हैं, जबकि अणाहट और अनाहत ध्वनियाँ हमें आंतरिक जगत की ओर ले जाती हैं। इन ध्वनियों के माध्यम से हम आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ हमारे ध्यान और साधना की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह ध्वनियाँ हमें बाहरी और आंतरिक जगत से जोड़ती हैं और हमारे आत्मिक विकास में सहायक होती हैं।

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