सचेतन 3.34 : नाद योग: तुरीय अवस्था का आध्यात्मिक महत्व

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नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपका “सचेतन” कार्यक्रम में। आज हम चर्चा करेंगे “तुरीय अवस्था” के आध्यात्मिक महत्व पर। यह वह अवस्था है, जो जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से परे है। तुरीय अवस्था शुद्ध चेतना की वह उच्चतम अवस्था है, जिसे आत्म-साक्षात्कार के लिए आवश्यक माना जाता है। आइए, इस अवस्था के आध्यात्मिक पहलुओं को गहराई से समझते हैं।

तुरीय अवस्था का परिचय

तुरीय अवस्था का संस्कृत में अर्थ है “चौथा,” अर्थात यह चेतना की चौथी अवस्था है। यह जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति अवस्थाओं से अलग है। तुरीय अवस्था में आत्मा शुद्ध, अनंत और अपरिवर्तनीय चेतना का अनुभव करती है। यह वह अवस्था है, जहाँ आत्मा और परमात्मा के बीच का भेद समाप्त हो जाता है और दोनों का एकत्व हो जाता है।

तुरीय अवस्था का आध्यात्मिक महत्व

तुरीय अवस्था योग, ध्यान, और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह वह अवस्था है, जहाँ व्यक्ति अपने भीतर के सत्य का अनुभव करता है और संसार के मोह-माया से मुक्त हो जाता है। आइए, इसके आध्यात्मिक महत्व को विस्तार से समझते हैं:

1. आत्म-साक्षात्कार की अवस्था:

तुरीय अवस्था को आत्म-साक्षात्कार की चरम अवस्था माना जाता है। जब साधक तुरीय अवस्था में प्रवेश करता है, तो वह अपनी आत्मा के वास्तविक स्वरूप का बोध करता है। यह अवस्था साधक को उसके शरीर, मन, और विचारों से परे जाकर उसकी शुद्ध चेतना का अनुभव कराती है। यहाँ वह समझता है कि वह केवल यह भौतिक शरीर नहीं है, बल्कि शाश्वत आत्मा है, जो असीम और अनंत है।

2. द्वैत से अद्वैत की ओर यात्रा:

तुरीय अवस्था में प्रवेश करते ही साधक को द्वैत (अर्थात् “मैं” और “तुम” का भेद) से मुक्ति मिल जाती है। यहाँ व्यक्ति अद्वैत (अर्थात् एकत्व) का अनुभव करता है, जहाँ सब कुछ एक ही चेतना में विलीन हो जाता है। इस अवस्था में साधक को यह बोध होता है कि वह और परमात्मा एक ही हैं, और इस ब्रह्मांड की समस्त चेतना एक है। यह अद्वैत का अनुभव उसे जीवन की सच्चाई और उसकी वास्तविकता का बोध कराता है।

3. शांति और आनंद की अवस्था:

तुरीय अवस्था शाश्वत शांति और आनंद की अवस्था है। यहाँ व्यक्ति सभी मानसिक और भौतिक अशांति और कष्टों से मुक्त हो जाता है। इस अवस्था में कोई भी बाहरी परिस्थिति या विचार व्यक्ति की आंतरिक शांति को भंग नहीं कर सकते। यह अवस्था स्थिरता और गहन आनंद का अनुभव कराती है, जिसे किसी भी भौतिक सुख से तुलना नहीं की जा सकती।

4. मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति:

तुरीय अवस्था मोक्ष की ओर ले जाती है। मोक्ष वह अवस्था है, जहाँ आत्मा संसार के बंधनों और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाती है। यह केवल तुरीय अवस्था में ही संभव है, जहाँ आत्मा अपनी पूर्णता को पहचानती है और परमात्मा के साथ एकत्व को प्राप्त करती है। यह स्थिति आत्मा को संसारिक मोह-माया और कर्मों के बंधन से मुक्त करती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

5. अहंकार का अंत:

तुरीय अवस्था में प्रवेश करते समय अहंकार का पूर्ण नाश हो जाता है। व्यक्ति खुद को ‘मैं’ के रूप में पहचानने से मुक्त हो जाता है और ब्रह्मांडीय चेतना का अनुभव करता है। अहंकार से मुक्ति हमें सत्य के करीब लाती है और हमें उस दिव्य ऊर्जा से जोड़ती है, जो इस ब्रह्मांड को चलाती है।

तुरीय अवस्था तक पहुँचने के उपाय

तुरीय अवस्था तक पहुँचने के लिए नियमित साधना, ध्यान, और आत्म-चिंतन आवश्यक हैं। यह अवस्था योग और ध्यान की गहन स्थिति के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए आत्म-विश्लेषण और स्वाध्याय की भी आवश्यकता होती है, ताकि साधक अपनी चेतना को भौतिक और मानसिक सीमाओं से परे ले जा सके।

  1. नियमित ध्यान:
    • तुरीय अवस्था तक पहुँचने के लिए ध्यान एक महत्वपूर्ण साधन है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति अपने मन को स्थिर करता है और विचारों से परे जाकर शुद्ध चेतना का अनुभव करता है।
  2. प्राणायाम और योग:
    • प्राणायाम और योग की सहायता से श्वास को नियंत्रित करके चेतना को उच्च स्तर तक ले जाया जा सकता है, जो तुरीय अवस्था के अनुभव में सहायक होता है।
  3. गुरु का मार्गदर्शन:
    • तुरीय अवस्था की प्राप्ति के लिए गुरु का मार्गदर्शन अति महत्वपूर्ण होता है। गुरु की शिक्षाओं और उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करने से साधक इस गहन अवस्था को प्राप्त कर सकता है।

तुरीय अवस्था आत्मा की शुद्ध चेतना की वह स्थिति है, जहाँ व्यक्ति अपनी वास्तविकता का बोध करता है और परमात्मा के साथ एकाकार होता है। यह अवस्था हमें अद्वैत का अनुभव कराती है, जहाँ हमें संसार के बंधनों और मोह-माया से मुक्ति मिलती है। तुरीय अवस्था आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में हमारी यात्रा का अंतिम चरण है।

आज के “सचेतन” कार्यक्रम में इतना ही। हमें उम्मीद है कि आपको तुरीय अवस्था के इस गहन और आध्यात्मिक विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए और रोचक विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें, और अपनी आत्मिक यात्रा को गहराई तक ले जाएँ।

नमस्कार!

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