सचेतन 155 : श्री शिव पुराण- उमा संहिता- पार्वती जी के सहस्र नाम उनके गुण और ऊर्जा को सूचित करता है

SACHETAN  > Shivpuran >  सचेतन 155 : श्री शिव पुराण- उमा संहिता- पार्वती जी के सहस्र नाम उनके गुण और ऊर्जा को सूचित करता है

सचेतन 155 : श्री शिव पुराण- उमा संहिता- पार्वती जी के सहस्र नाम उनके गुण और ऊर्जा को सूचित करता है

| | 0 Comments

ब्रह्मा जी के वरदान से गिरिराज की पत्नी मैना ने एक कन्या उत्पन्न की जिसका नाम अपर्णा रखा गया।

पार्वती, उमा या गौरी मातृत्व, शक्ति, प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, विवाह, संतान की देवी हैं।देवी पार्वती कई अन्य नामों से जानी जाती है, वह सर्वोच्च देवी परमेश्वरी आदि पराशक्ति (शिवशक्ति) की साकार रूप है और शाक्त सम्प्रदाय मे एक उच्चकोटि की प्रमुख देवी है और उनके कई गुण,रूप और पहलू हैं। उनके प्रत्येक पहलुओं को एक अलग नाम के साथ व्यक्त किया जाता है, जिससे उनके भारतीय  गाथाओं में 10000 से अधिक नाम मिलते हैं। पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ, वह (त्रिदेवी) की त्रिमूर्ति का निर्माण करती हैं। 

माता पार्वती भगवान शिव की पत्नी हैं । वह पर्वत राजा हिमांचल और रानी मैना की बेटी हैं।पार्वती देवताओं में गणेश, कार्तिकेय, अशोकसुंदरी‌, ज्योति और मनसा देवी की मां और अय्यप्पा की सौतेली माता हैं। पुराणों में उन्हें श्री विष्णु की बहन कहा गया है। वे ही मूल प्रकृति और कारणरूपा है। शिव विश्व के चेतना है तो पार्वती विश्व की ऊर्जा हैं। पार्वती माता जगतजननी अथवा परब्रह्मस्वरूपिणी है।

ललिता सहस्रनाम में पार्वती (ललिता के रूप में) के 1,000 नामों की सूची है। पार्वती के सबसे प्रसिद्ध दो में से एक उमा और अपर्णा हैं। स्कन्द पुराण के अनुसार,देवी पार्वती के द्वारा दुर्गमसुर को मारने के बाद देवी पार्वती का नाम दुर्गा पड़ा। उमा नाम का उपयोग सती (शिव की पहली पत्नी, जो पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ है) के लिए किया जाता है, रामायण में देवी पार्वती को उमा नाम से भी संबोधित किया गया है, देवी पार्वती को अपर्णा के रूप में संदर्भित किया जाता है (‘जो सबका भरण पोषण करती है’)। देवी पार्वती अंबिका (‘प्रिय मां’), शक्ति (‘शक्ति’), माताजी (‘पूज्य माता’), माहेश्वरी (‘महान देवी’), दुर्गा (अजेय), भैरवी (‘क्रूर’), भवानी (‘उर्वरता’) आदि नामों से जानी जाती हैं। पार्वती प्रेम और भक्ति की देवी हैं, या कामाक्षी; प्रजनन, बहुतायत और भोजन/पोषण की देवी अन्नपूर्णा कहा गया है । 

देवी पार्वती एक क्रूर महाकाली भी है जो तलवार उठाती है, गंभीर सिर की माला पहनती है, और अपने भक्तों की रक्षा करती है और दुनिया और प्राणियों की दुर्दशा करने वाली सभी बुराईयों को नष्ट करती है। देवी पार्वती को स्वर्ण, गौरी, काली या श्यामा के रूप में संबोधित किया जाता है, इनका एक शांत रूप गौरी है, तो दूसरा भयंकर रूप काली है।

कश्यप ऋषि के कहने पर गिरिराज हिमालय ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की।  तपस्या से प्रसन्न हो कर ब्रह्मा जी ने गिरिराज हिमालय को दर्शन दे कर उनसे वर माँगने को कहा। गिरिराज हिमालय ने सब गुणों से सुशोभित संतान का वर माँगा जिसे पूर्ण करते हुए ब्रह्मा जी ने कहा “शैलेंद्र! इस तपस्या के प्रभाव से तुम्हारे यहाँ एक कन्या उत्पन्न होगी जिसके कारण तुम सर्वत्र कीर्ति प्राप्त करोगे। तुम्हारे यहाँ कोटि कोटि तीर्थ वास करेंगे । तुम सम्पूर्ण देवताओं से भी पूजित होगे तथा अपने पुण्य से देवताओं  भी पावन बनाओगे। 

ब्रह्मा जी के वरदान से गिरिराज की पत्नी मैना ने एक कन्या उत्पन्न की जिसका नाम अपर्णा रखा गया।  अपर्णा ने भगवान शिव की प्राप्ति के लिए अत्यंत कठोर तपस्या की तथा बहुत समय तक निराहार रहीं। उनको ऐसी कठोर तपस्या करते देखकर उनकी माता ने मात स्नेह से दुखी होकर उनसे कहा ” अपर्णा ! उमा” (ऐसा मत करो)। माता के  यों कहने पर कठोर तपस्या करने वाली अपर्णा अर्थात पार्वती देवी ‘उमा’ नाम से ही संसार में प्रसिद्ध हो गयी।

पार्वती देवी की तपस्या से तीनों लोक संतप्त हो उठे , तब ब्रह्मा जी ने जा कर उनसे कहा “देवी क्यों इस कठोर तपस्या से सम्पूर्ण जगत को संताप दे रही हो? कल्याणी ! स्वयं  इस जगत को रचकर स्वयं ही इसका विनाश न करो। ऐसे किस अभीष्ट की तुम्हें इच्छा है बताओ ।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *