सचेतन 3.37 : नाद योग: प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म

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सचेतन 3.37 : नाद योग: प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म

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शरीर और मन की शुद्धि की विधि

नमस्कार दोस्तों! स्वागत है आपके पसंदीदा “सचेतन” कार्यक्रम में। और आज हम चर्चा करेंगे प्राणायाम की एक विशेष विधि के बारे में, जिसमें त्रिविध ब्रह्म—ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र का प्रतीकात्मक महत्व निहित है। यह प्राणायाम विधि हमारे शरीर और मन को शुद्ध करने का एक अद्वितीय साधन है। आइए, जानते हैं इसके गहरे रहस्य को।

प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म

प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसके माध्यम से हम अपनी श्वास पर नियंत्रण रखते हैं। श्वास को नियंत्रित करके हम अपने शरीर, मन, और आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। त्रिविध ब्रह्म—ब्रह्मा, विष्णु, और रुद्र—प्राणायाम के तीन मुख्य चरणों के प्रतीक हैं: पूरक (श्वास भरना), कुम्भक (श्वास रोकना), और रेचक (श्वास छोड़ना)। इस विधि के माध्यम से हम ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ सकते हैं और अपने भीतर की शांति को जागृत कर सकते हैं।

त्रिविध ब्रह्म का ध्यान और प्राणायाम

1. पूरक (श्वास भरना) – ब्रह्मा:

पूरक का अर्थ है श्वास को भीतर लेना। इस चरण में बायीं नासिका (इड़ा) से वायु को धीरे-धीरे भरकर उदर (पेट) में स्थापित करना होता है। इस प्रक्रिया के दौरान हम ब्रह्मा का ध्यान करते हैं, जो सृष्टि के निर्माण का प्रतीक हैं।

  • विधि:
    • बायीं नासिका से गहरी श्वास लें और इसे अपने उदर में भरें।
    • ध्यान करें कि आपके शरीर के बीचों-बीच एक ज्योतिर्मय ॐकार स्थापित हो रहा है। यह प्रकाश आपके शरीर को भीतर से शुद्ध और ऊर्जा से भर रहा है।

2. कुम्भक (श्वास रोकना) – विष्णु:

कुम्भक का अर्थ है श्वास को रोकना। इस चरण में हम श्वास को भीतर रोककर, विष्णु का ध्यान करते हैं, जो सृष्टि के पालन और संतुलन के प्रतीक हैं। कुम्भक के दौरान हमारा ध्यान श्वास के रुकने पर केंद्रित होता है, जिससे हम ऊर्जा का संचय कर सकते हैं।

  • विधि:
    • श्वास को भरने के बाद उसे कुछ क्षणों के लिए रोकें।
    • ध्यान करें कि यह ऊर्जा आपके शरीर को स्थिरता और संतुलन प्रदान कर रही है, और यह शांति का स्रोत है।

3. रेचक (श्वास छोड़ना) – रुद्र:

रेचक का अर्थ है श्वास को बाहर छोड़ना। यह चरण रुद्र का प्रतीक है, जो सृष्टि के संहारक हैं। रेचक के माध्यम से हम नकारात्मकता और विषाक्त ऊर्जा को बाहर निकालते हैं, जिससे हमारा शरीर और मन शुद्ध हो जाता है।

  • विधि:
    • धीरे-धीरे श्वास को बाहर छोड़ें, और ध्यान करें कि सभी नकारात्मक भावनाएँ और विचार आपके शरीर से बाहर निकल रहे हैं।
    • यह श्वास का त्याग आपके मन को शांति और शुद्धि प्रदान करेगा।

प्राणायाम के लाभ

1. शरीर और मन की शुद्धि:

प्राणायाम की यह विधि हमारे शरीर और मन को शुद्ध करने का एक शक्तिशाली साधन है। पूरक, कुम्भक, और रेचक के माध्यम से हम न केवल अपनी श्वास को नियंत्रित करते हैं, बल्कि अपने भीतर की ऊर्जा को भी संतुलित करते हैं।

2. ऊर्जा का संचय:

कुम्भक के दौरान श्वास को रोककर हम ऊर्जा का संचय कर सकते हैं। यह ऊर्जा हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है और हमें आत्मिक शक्ति प्रदान करती है।

3. आत्म-साक्षात्कार की दिशा:

त्रिविध ब्रह्म प्राणायाम के माध्यम से हम अपने भीतर की गहराईयों में उतर सकते हैं और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। यह प्राणायाम विधि हमें ब्रह्मा, विष्णु, और रुद्र के प्रतीकात्मक महत्व के साथ जोड़ती है, जिससे हम ब्रह्मांडीय ऊर्जा से एकाकार हो सकते हैं।

4. शांति और स्थिरता का अनुभव:

इस प्राणायाम विधि के नियमित अभ्यास से मन में शांति और स्थिरता का अनुभव होता है। यह शांति और स्थिरता हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाती है और हमारी आंतरिक शक्ति को जागृत करती है।

निष्कर्ष

प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म का ध्यान हमारे जीवन को शुद्धि, संतुलन, और स्थिरता की दिशा में ले जाता है। पूरक (ब्रह्मा), कुम्भक (विष्णु), और रेचक (रुद्र) के माध्यम से हम अपने शरीर और मन को शुद्ध कर सकते हैं, और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। यह प्राणायाम विधि हमें ब्रह्मांडीय चेतना से जोड़ती है और हमें गहरी शांति और संतुलन का अनुभव कराती है।

आज के इस “सचेतन” कार्यक्रम में इतना ही। हमें उम्मीद है कि आपको प्राणायाम और त्रिविध ब्रह्म के इस गहन विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। इसे अपने जीवन में अपनाएँ और अपने मन और शरीर को शुद्ध करें।

नमस्कार!

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