सचेतन- बुद्धचरितम् 32 बुद्ध के दस पवित्र स्तूपों की कथा

SACHETAN  > BudhCharitam, Gyan-Yog ज्ञान योग >  सचेतन- बुद्धचरितम् 32 बुद्ध के दस पवित्र स्तूपों की कथा

सचेतन- बुद्धचरितम् 32 बुद्ध के दस पवित्र स्तूपों की कथा

| | 0 Comments

जब भगवान बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ, तो उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। उनकी अस्थियों (धातु), भस्म और कलश को सम्मानपूर्वक कई भागों में विभाजित किया गया। इन पवित्र अवशेषों को विभिन्न स्थानों पर श्रद्धा और भक्ति से स्थापित किया गया। इस प्रकार पृथ्वी पर कुल दस पवित्र स्तूपों का निर्माण हुआ।

अब आइए, इस कहानी को आगे बढ़ाते हैं और जानें इन दस स्तूपों के बारे में:

1. राजगृह (राजगीर)

यह मगध की राजधानी थी। यहाँ बुद्ध की धातु (अस्थियों) से बना पहला स्तूप स्थापित किया गया। यह स्थान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ बुद्ध ने कई उपदेश दिए थे और कई वर्षों तक वास किया।

2. वैशाली

यह स्तूप भी बुद्ध की धातु से बना था। वैशाली वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था और जहाँ उन्होंने कहा था कि वे शीघ्र ही महापरिनिर्वाण को प्राप्त करेंगे।

3. कपिलवस्तु

यह बुद्ध का जन्मस्थान है। यहाँ भी उनकी धातु से स्तूप बना। यह स्थान बुद्ध के राजसी जीवन की शुरुआत और गृहत्याग की याद दिलाता है।

4. अल्लकप्प

यह स्थान मल्ल जाति से संबंधित था। यहाँ भी बुद्ध की धातु से बना स्तूप है। यह स्थान कम प्रसिद्ध है लेकिन बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है।

5. रामग्राम

यह स्तूप भी बुद्ध की धातु से बना था। एक मान्यता है कि यहाँ की प्रजा ने बुद्ध की अस्थियों को अपने नगर में सुरक्षित रखा और स्तूप का निर्माण कराया।

6. वेतद्वीप

यहाँ भी एक स्तूप बुद्ध की धातु से बनाया गया। यह स्थान नदी के किनारे स्थित था, जिससे यहाँ का वातावरण शांत और आध्यात्मिक था।

7. पावा

यहाँ भी एक धातु स्तूप बना। पावा वह स्थान है जहाँ बुद्ध ने अपना अंतिम भोजन ग्रहण किया था। इसलिए यह स्थान ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्व रखता है।

8. कुशीनगर

यही वह पवित्र स्थान है जहाँ बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया था। यहाँ उनकी धातु से आठवाँ स्तूप स्थापित किया गया। यह स्थान आज भी बुद्ध अनुयायियों के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है।

9. पिप्पलिवन

यहाँ बुद्ध के अंतिम संस्कार में उपयोग किए गए घट (कलश) को सम्मानपूर्वक एक स्तूप में स्थापित किया गया। यह कलश स्तूप था, और यह स्थान बुद्ध के अंतिम संस्कार की पावन स्मृति को संजोए हुए है।

10. कुशीनगर (भिन्न स्थल)

जहाँ बुद्ध का दाह संस्कार हुआ था, उस स्थल की भस्म से यहाँ दसवाँ स्तूप बनाया गया। यह भस्म स्तूप कहलाता है और यह स्थान भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।

निष्कर्ष:

ये दस स्तूप न केवल इतिहास के पवित्र चिह्न हैं, बल्कि वे श्रद्धा, भक्ति और बौद्ध धर्म के मूल्यों के प्रतीक हैं। हर स्तूप हमें बुद्ध के जीवन, उनके उपदेशों और उनके अंतिम यात्रा की याद दिलाता है। आज भी, दुनिया भर से लोग इन स्थलों पर दर्शन करने आते हैं और शांति, करुणा और ज्ञान की प्रेरणा पाते हैं।

क्या आप चाहें तो मैं इन 10 स्तूपों की सूची एक सारणी (टेबल) में भी दे सकता हूँ?

यहाँ पर बुद्ध के दस स्तूपों के नाम, उनके प्राचीन स्थानों के साथ-साथ वर्तमान में वे भारत के किस राज्य और शहर/क्षेत्र में स्थित हैं — इसकी सरल सूची दी गई है:

क्रमस्तूप का स्थान (प्राचीन नाम)वर्तमान स्थानराज्य
1राजगृह (राजगीर)राजगीरबिहार
2वैशालीवैशाली जिलाबिहार
3कपिलवस्तुपिपरहवा/गणवरिया (निकटतम नगर – सिद्धार्थनगर)उत्तर प्रदेश
4अल्लकप्पसंभवतः बिहार राज्य में, सटीक स्थान अज्ञातबिहार
5रामग्रामरामग्राम (नौतनवा के पास) या नेपाल में नवलपरासी जिलानेपाल (भारत सीमा के पास)
6वेतद्वीपसटीक वर्तमान स्थान अज्ञात, अनुमानतः उत्तर बिहार या नेपाल सीमा के पाससंभवतः बिहार
7पावाफाजिलनगर (कुशीनगर जिला)उत्तर प्रदेश
8कुशीनगरकुशीनगरउत्तर प्रदेश
9पिप्पलिवनपिपरहवा (सिद्धार्थनगर जिला) या निकटवर्ती क्षेत्रउत्तर प्रदेश
10कुशीनगर (दाह स्थल)कुशीनगरउत्तर प्रदेश

संक्षिप्त जानकारी:

  • बिहार राज्य में 3-4 स्तूपों के स्थल आते हैं – राजगृह, वैशाली, अल्लकप्प, वेतद्वीप (संभावित)
  • उत्तर प्रदेश में 5-6 स्थल स्थित हैं – कपिलवस्तु, पिप्पलिवन, पावा, कुशीनगर (2 स्थल)
  • नेपाल में केवल एक प्रमुख स्थल – रामग्राम, जो आज नेपाल के नवलपरासी ज़िले में है, लेकिन भारत-नेपाल सीमा के पास है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *