सचेतन 3.17-18 : नाद योग: अंतरस्थ विषय: योग और ध्यान की गहनता का केंद्र

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सचेतन 3.17-18 : नाद योग: अंतरस्थ विषय: योग और ध्यान की गहनता का केंद्र

नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में.  आज हम बात करेंगे “अंतरस्थ विषय” के बारे में, जो योग और ध्यान की गहनता का केंद्र होता है। यह विषय योग साधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारे ध्यान को गहराई तक ले जाने में मदद करता है। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।

अंतरस्थ विषय का अर्थ:

अंतरस्थ विषय का अर्थ है वह आंतरिक केंद्र या विषय जिस पर योगी अपने ध्यान को केंद्रित करता है। यह विषय बाहरी संसार से हटकर हमारे आंतरिक संसार से संबंधित होता है। अंतरस्थ विषय पर ध्यान केंद्रित करने से हमारी साधना गहरी और स्थिर हो जाती है, और हम आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर होते हैं।

अंतरस्थ विषय के प्रकार:

  1. चक्र (ऊर्जा केंद्र):
    • योग में विभिन्न चक्रों पर ध्यान केंद्रित करना एक प्रमुख अंतरस्थ विषय है। जैसे मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा, और सहस्रार चक्र।
    • इन चक्रों पर ध्यान केंद्रित करके साधक अपनी आंतरिक ऊर्जा को जागृत करता है और चेतना की उच्चतर अवस्था में प्रवेश करता है।
  2. श्वेतार्क:
    • श्वेतार्क एक विशेष प्रकार का आंतरिक प्रकाश है जो ध्यान की गहन अवस्था में अनुभव होता है।
    • इस प्रकाश पर ध्यान केंद्रित करके साधक आत्मिक शुद्धि और उच्चतर चेतना की प्राप्ति करता है।
  3. सूत्रात्मा:
    • सूत्रात्मा वह आंतरिक आवाज़ या ध्वनि है जिसे ध्यान की गहन अवस्था में सुना जा सकता है।
    • इस ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करके साधक नाद योग के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार की दिशा में अग्रसर होता है।
  4. तुरीय अवस्था:
    • तुरीय वह अवस्था है जहाँ साधक जाग्रत, स्वप्न, और सुषुप्ति के पार जाकर एक अद्वितीय चेतना का अनुभव करता है।
    • इस अवस्था पर ध्यान केंद्रित करना भी एक प्रमुख अंतरस्थ विषय हो सकता है।

अंतरस्थ विषय पर ध्यान का महत्व:

  1. आत्मिक शुद्धि:
    • अंतरस्थ विषय पर ध्यान केंद्रित करने से हमारी आत्मा शुद्ध होती है और हम आंतरिक शांति का अनुभव करते हैं।
    • यह हमें बाहरी संसार की अस्थिरता से मुक्त करता है और आत्मिक स्थिरता प्रदान करता है।
  2. चेतना का विकास:
    • इन विषयों पर ध्यान केंद्रित करने से हमारी चेतना का विकास होता है और हम उच्चतर आध्यात्मिक अवस्था में पहुँचते हैं।
    • यह हमें आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष की दिशा में अग्रसर करता है।
  3. मानसिक एकाग्रता:
    • अंतरस्थ विषय पर ध्यान केंद्रित करने से हमारी मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान की गहराई बढ़ती है।
    • यह हमें ध्यान में स्थिरता और गहनता प्रदान करता है।

अंतरस्थ विषय का अभ्यास कैसे करें:

  1. शांत स्थान का चयन:
    • सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें, जहाँ आपको कोई बाधा न हो।
    • ध्यान के लिए एक आरामदायक आसन में बैठें, जैसे सिद्धासन या पद्मासन।
  2. दृष्टि और मन को स्थिर करें:
    • अपनी दृष्टि को आंतरिक रूप से केंद्रित करें और मन को शांति और स्थिरता की दिशा में ले जाएं।
    • बाहरी विचारों को छोड़कर अपने चुने हुए अंतरस्थ विषय पर ध्यान केंद्रित करें।
  3. श्वास को नियंत्रित करें:
    • अपनी श्वास को धीमी और गहरी रखें, और इसे ध्यान के माध्यम से नियंत्रित करें।
    • ध्यान को गहराई तक ले जाएं और अपने अंतरस्थ विषय पर पूरी तरह से केंद्रित रहें।

अंतरस्थ विषय योग और ध्यान की गहनता का केंद्र होता है। यह हमें आत्म-साक्षात्कार, आत्मिक शुद्धि और मानसिक एकाग्रता की दिशा में अग्रसर करता है। योग साधना में अंतरस्थ विषय पर ध्यान केंद्रित करना हमें आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

आज के सत्र में इतना ही। हमें आशा है कि आपको अंतरस्थ विषय के इस गहन और आध्यात्मिक विषय के बारे में जानकर अच्छा लगा होगा। हम फिर मिलेंगे एक नए विषय के साथ। तब तक के लिए, ध्यान में रहें, खुश रहें और अपनी साधना को गहराई तक ले जाएँ।

नमस्कार!

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