सचेतन 3.12 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि

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सचेतन 3.12 : नाद योग: रहस्यमयी ध्वनि

नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ

नमस्कार श्रोताओं, और स्वागत है इस हमारे विशेष नाद योग (योग विद्या) पर सचेतन के इस विचार के सत्र  में, आज का हमारा विषय है नाद योग। नाद योग, यह शब्द सुनते ही मन में एक गूंज उत्पन्न होती है, एक रहस्यमयी ध्वनि की। तो आइए, आज हम इसी रहस्यमयी ध्वनि, नाद योग के बारे में विस्तार से जानते हैं।

नाद योग, योग का एक प्राचीन और अत्यंत प्रभावशाली मार्ग है। यह मार्ग हमें ध्वनि और संगीत के माध्यम से आत्मा की गहराइयों तक ले जाता है। ‘नाद’ शब्द का अर्थ होता है ध्वनि, और ‘योग’ का अर्थ है जोड़ना। तो नाद योग का तात्पर्य हुआ – ध्वनि के माध्यम से आत्मा और परमात्मा का मिलन।

इस योग की प्रक्रिया बहुत ही सरल लेकिन प्रभावशाली है। नाद योग में मुख्य रूप से चार प्रकार की ध्वनियों का उपयोग किया जाता है – आहट, परमाहट, अणाहट और अनाहत। आहट और परमाहट वे ध्वनियाँ हैं जिन्हें हम बाहर से सुनते हैं, जैसे कि संगीत, मंत्र, या किसी वाद्य यंत्र की ध्वनि। जबकि अणाहट और अनाहत वे ध्वनियाँ हैं जो भीतर से उत्पन्न होती हैं, जिन्हें केवल ध्यान और साधना के माध्यम से सुना जा सकता है।

नाद योग में चार प्रकार की ध्वनियाँ

आज हम नाद योग की गहनता और उसमें उपयोग की जाने वाली चार प्रमुख ध्वनियों के बारे में जानेंगे। नाद योग में ध्वनियों का विशेष महत्व है और यह हमारे ध्यान और साधना की दिशा में एक महत्वपूर्ण मार्ग है। तो आइए, इन चार प्रकार की ध्वनियों को विस्तार से समझें।

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